तुम बसंत बहार पिया
मोना चंद्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
मैं पतझड़ की सूखी साख
तुम बसंत बहार पिया
जेठ की तपती धूप में
तुम निर्मल फुहार पिया
तुम पलाश का फूल हो मेरे
तुम बसंती बयार पिया
जो कभी ना उतरे ऐसा
ऐसा तुम खुमार पिया
तुम ही आस मेरी सब,
तुमसे ही विश्वास पिया
तुम ही मार्गदर्शक मेरे,
तुम प्रेरणा पथ वार पिया
तुम ठंड में सुनहरी धूप हो,
मैं कड़कड़ाती जाड़ा पिया
मैं तूफानी वर्षा सी
तुम हल्की फुहार पिया
तुम हो तो हर दिवस
प्रेमोत्सव सा लगता है
किसी दिन विशेष की
प्रतीक्षा नहीं रहती