रायपुर/17 अप्रैल 2025/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण श्रीमती लक्ष्मी वर्मा व श्रीमती सरला कोसरिया, ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 309 वी. एवं रायपुर जिले में 151 वी. जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में दो आवेदिकागणों ने एक ही महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई दोनो आवेदिका ने अनावेदिका के खिलाफ धोखाधड़ी किये जाकर पैसे वापस ना करने की शिकायत कि पहली आवेदिका ने बताया कि अनावेदिका ने आवेदिका (पति-पत्नि) को रेल्वे में नौकरी लगाने के नाम पर उनसे 9 लाख रू. लिया था, और दूसरी आवेदिका ने बताया कि अनावेदिका ने उससे 5 लाख रू. लिये है। क्योंकि वह खुद रेल्वे में वेल्डिंग का का कार्य करती है जहां वह अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत् है। दोनो पक्ष आस -पास पड़ोस में रहते है। पास में रहने का लाभ उठाकर धोखा देकर अनावेदिका ने पैसे लिये है और वापस नहीं कर रही है। आयोग द्वारा अनावेदिकागणों को समझाईश दिया गया कि वह अपने सभी दस्तावेज लेकर आयोग में उपस्थित हो, जिसके आधार पर कार्यवाही का निर्णय लिया जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति का अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है और आवेदिका से बिना तलाक लिए आवेदिका के पति ने दूसरा विवाह कर लिया है। आयोग के द्वारा दूसरी महिला के मोबाईल की जांच करने पर अनावेदकगणों की आपत्तिजनक स्थिति की तस्वीरें मिली, जिससे यह पुष्टि हुई कि आवेदिका के पति व दूसरी महिला ने अवैधानिक रूप से दूसरा विवाह किया है। वर्तमान में दूसरी महिला सब इंस्पेक्टर के पद पर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रही है। कानून की जानकार होने के बाद भी वह आवेदिका व उसके दोनो बच्चों को परेशान कर रही है। जिससे आवेदिका कि बच्ची आत्महत्या करने की नौबत में आ चुकी है। ऐसी दशा में दूसरी महिला के द्वारा ली जा रही सब इंस्पेक्टर की टेªनिंग पर रोक लगाने हेतु आयोग के द्वारा डी.जी.पी. रायपुर को पत्र प्रेषित किया जायेगा, साथ ही अनावेदिका दूसरी महिला को अपने आचरण व व्यवहार में सुधार के लिए तथा आवेदिका व उसके बच्चों की जिंदगी से दूर रहने के लिए नारी निकेतन भेजा गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एक बुर्जुग महिला है जिसमें उसने प्रकरण प्रस्तुत किया कि आवेदिका को उसी के मकान से निकाल दिया गया जिस पर आयोग ने सुनवाई करते हुए बुर्जुग मां को 15 दिवस के अंदर घर वापस करने का अनावेदकगणों को निर्देश दिया।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ग्राम पंचायत सचिव आवेदिका को वांछित दस्तावेज नहीं दे रहा है और आवेदिका के पति से मिलीभगत कर दस्तावेज रोक रहा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक सचिव ने यह स्वीकार किया कि उसने जानबूझ कर आवेदिका को परेशान किया और 6 माह से उसे घूमा रहा है। शासकीय सेवा में रहने के बाद भी अपने पद की जिम्मेदारी व गंभीरता को जानबूझकर दांव पर लगाकर आवेदिका के पति का साथ दे रहा है और शासकीय सेवा कर्त्तव्यों का उल्लंघन कर रहा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक सचिव आवेदिका को दस्तावेज देना स्वीकार किया। आयोग ने कहा कि यदि अनावेदक दस्तावेज नहीं देता तो अनावेदक सचिव की सेवा समाप्ति की अनुशंसा की जायेगी।