विश्व विरासत दिवस पर 2025 पर ग्रीन केयर की मांग । सिरपुर शीघ्र ही विश्व विरासत में हो शामिल - डॉ पाणिग्राही सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी का आभार ,संसद में की पुरजोर मांग ।

विश्व विरासत  दिवस पर  2025   पर ग्रीन केयर की मांग ।   सिरपुर  शीघ्र ही विश्व विरासत में हो शामिल - डॉ पाणिग्राही  सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी का आभार ,संसद में की पुरजोर मांग ।

बागबाहरा -    विश्व विरासत ( वर्ल्ड हेरिटेज डे ) दिवस 18अप्रैल 2025 के अवसर पर  ग्रीन केयर  सोसायटी इंडिया ने  विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक ,धार्मिक ,आध्यात्मिक एवं पुरातत्व नगरी सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग  पुनः बुलंद करते  हुए महासमुंद सांसद  श्रीमती रूपकुमारी चौधरी जी  जिन्होंने हाल ही में लोकसभा में सिरपुर को विश्व विरासत में शामिल करने तथ्यात्मक वक्तव्य देकर मांग की   का आभार व्यक्त करते हुए  धन्यवाद प्रेषित  किया है । गौरतलब है कि  सामाजिक एवं पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ विश्वनाथ पाणिग्राही द्वारा  संस्था  ग्रीन केयर  सोसायटी इंडिया   के माध्यम से  बहुत समय से सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग की जा रही  है । एक वर्ष पहले भी विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल  2024 के अवसर पर इस मांग को पुनः दुहराते हुए प्रदेश के मुख्य मंत्री विष्णुदेव साय एवम पर्यटन एवम संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पत्र लिखा था  । यूनेस्को की टीम के समक्ष हो मजबूत दावेदारी ।  छत्तीसगढ़ प्रदेश के महासमुंद जिले का विश्व  विख्यात धार्मिक बौद्धिक एवम पुरातात्विक स्थल सिरपुर शीघ्र ही विश्व विरासत में हो शामिल  । अपनी इस मांग की पुनरावृति करते हुए ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया के अध्यक्ष डॉ विश्वनाथ पाणिग्राही ने कहा कि हम सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग यूं ही नहीं कर रहे हैं ।अपितु सिरपुर में विश्व धरोहर में शामिल होने की सभी अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं एवम साख्य मौजूद हैं । सिरपुर  बौद्ध धर्म , शैव धर्म ,वैष्णव धर्म ,जैन धर्म के स्थापत्य कला को आज भी अपने में समेटे हुए है । भारत का सबसे  बड़ा बौद्ध स्थल है । अनेक बौद्ध विहार , भिक्षुओं को पढ़ाने के प्रमाण सहित बौद्ध विद्वान नागार्जुन के आने के प्रमाण  है ।खुदाई में बौद्ध कालीन खंडहर भगवान बुद्ध की भव्य प्राचीन मूर्ति ,बाजार ,अस्पताल ,बंदरगाह होने के साख्य मिले हैं ।
लाल ईंटों से बना भारत का पहला मंदिर ,लक्ष्मण मंदिर जिसमे सीमेंट का  उपयोग नही  हुआ है तथा ताजमहल से भी 1100 पहलेका निर्माण है ।
चीन के बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग  के ग्रंथों में भी सिरपुर का उल्लेख मिलता है । बौद्ध भिक्षु व्हेन सांग  के सिरपुर आने तथा सिरपुर में कुछ वर्ष रहने के उल्लेख मिलते हैं । रामायण काल के भी अनेक उल्लेख मिलते हैं । 
इतनी सारी विशेषताओं एवम पात्रता के मापदंडों में खरा होने के बाद भी अब तक विश्व धरोहर में शामिल न हो पाना आश्चर्य है । अभी हमारे देश में कुल 43 विश्व धरोहर हैं लेकिन छत्तीसगढ़ का एक भी साइट अब तक  विश्व धरोहर में  शामिल नहीं है। हम  छत्तीसगढ़ वासियों की पुरजोर मांग है कि अगला विश्व धरोहर के रूप में हमारा सिरपुर स्थान प्राप्त करे ।  हमारा छत्तीसगढ़ प्रदेश गौरवान्वित होगा ।