स्वामी आत्मानंद जी महाराज का जन्म-दिवस
साभार सुरेश भैया
आज मध्यप्रदेश/महाराष्ट्र क्षेत्र में "रामकृष्ण-विवेकानंद- भावधारा" के अग्रणी प्रचारक परमपूज्य स्वामी आत्मानंद
जी महाराज का जन्म-दिवस है।
महाराज का जन्म 06 अक्टूबर 1929 को रायपुर जिले
के बरबंदा ग्राम में हुआ था। पिता श्री धनीराम वर्मा ,माता श्रीमती भाग्यवती देवी के इस ज्येष्ठ सुपुत्र के साथ-साथ अन्य संताने स्वामी निखिलात्मानंद, स्वामी त्यागात्मानंद, डॉ.नरेंद्रदेव वर्मा प्रसिद्ध भाषाविद्, डॉ.ओमप्रकाश वर्मा
प्राध्यापक मनोविज्ञान एवं पूर्व अध्यक्ष,वि.वि.नियामक आयोग,छ.ग.,डॉ.लक्ष्मी धुरंधर,प्राध्यापिका अर्थशास्त्र,ने भी अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल की।
पूज्य महाराजजी की स्कूली शिक्षा,सेंट पॅाल्स स्कूल रायपुर और महाविद्यालय शिक्षा, (एमएससी गणित) नागपुर विश्वविद्यालय से हुई। उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी और प्रथम 10 स्थानों में चयनित हुए ,परंतु मौखिक परीक्षा न देकर श्रीरामकृष्ण मिशन में प्रवेश ले लिया।
महाराज की ब्रह्मचर्य-दीक्षा, सन् 1957 में श्रीरामकृष्ण संघ के तत्कालीन परमाध्यक्ष पूज्यपाद स्वामी शंकरानंद जी महाराज द्वारा हुई और उन्हें ब्रह्मचारी 'तेजचैतन्य 'का नाम मिला। महाराज के मन में सदैव यह बात रहती थी कि अपने बाल्यकाल में स्वामी विवेकानंद जी ने दो वर्ष की अवधि रायपुर में बितायी हैं। इस स्मृति को एक स्वरूप देकर स्थायी करने का विचार आने पर उन्होंने 'विवेकानंद आश्रम रायपुर' की नींव डाली। महाराज के अथक प्रयास और छत्तीसगढ़ की जनता के सहयोग से इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली। कालांतर में "रामकृष्ण मिशन "ने इस संस्था को अधिग्रहित कर लिया।
महाराज की समस्त चेतना,"आत्मनो मोक्षार्थम,जगद्हिताय च, तथा "शिव-भाव से जीव-सेवा" से अनुप्राणित थी। उनके कठिन प्रयासों से रायपुर में श्रीरामकृष्णदेव के मंदिर का निर्माण हो रहा था तभी छत्तीसगढ़ को 'दुर्भिक्ष' का सामना करना पड़ा। उन्होंने मंदिर निर्माण का कार्य रोक दिया और संचित धन का उपयोग राहत-कार्यों के संचालन में कर दिया। हम सब,तब विवेकानंद-विद्यार्थी-भवन के छात्र थे और इन घटनाओं के स्वयं साक्षी हैं।
वनवासियों की समग्र शिक्षा और उत्थान के प्रति उनका इतना तीव्र आग्रह था कि उन्होंने 'नारायणपुर',बस्तर जिले में ,एक "वनवासी-सेवा-प्रकल्प" का निर्माण किया, जहां बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ स्थानीय जन को ,
कृषि-संवर्धन की जानकारियां दी जाती हैं ।अब यह संस्थान और भी कई क्षेत्रों में उन्नति कर विशाल स्वरूप धारण कर चुका है।
पूज्य महाराज से अनुप्रेरित होकर अनेक विशिष्ट-जनों ने स्वयं को रामकृष्ण मिशन में सम्मिलित किया। जिनमें
परमपूज्य स्वामी सत्यरूपानंद,स्वामी निखिलात्मानंद, स्वामी ब्रह्मेशानंद ,स्वामी श्रीकरानंद, स्वामी त्यागात्मानंद, स्वामी निखिलेश्वरानंद, स्वामी अव्ययानंद, स्वामी सर्वभूतानंद, स्वामी जयदानंद, स्वामी चिरंतनानंद,आदि वे हैं ,जिन्हें मैं स्वयं जानता हूं। ऐसे और भी कई साधु/ब्रह्मचारी हुए होंगे, जिन्होंने उनसे "रामकृष्ण-विवेकानंद-भाव-धारा" में सम्मिलित होने की प्रेरणा पायी होगी। महाराज ने 27 अगस्त 1989 को अपने स्वरूप को समेट लिया, और श्रीरामकृष्ण धाम को प्रस्थान कर गये।
म.प्र.एवं छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए अपने कई जनकल्याणकारी योजनाओं को ,
उनके नाम पर 'अर्पित 'किया है।
सादर प्रणाम,
शुभ जन्मदिवस, महाराज!