संदीप के पुरजोर प्रयास से कुर्मी समाज से मिला न्याय, लिख कर दिया शपथ पत्र
समाज के पदाधिकारियों द्वारा स्टांप पेपर में लिख कर शपथ पत्र दिया गया है कि , संदीप को समाज से बहीष्कृत नहीं किया गया है वह समाज का अभिन्न सदस्य था और रहेगा
राजनांदगांव :- ज्ञात हो संदीप देशमुख प्रधान आरक्षक राजनांदगांव पुलिस जो कि मुलतः ग्राम टिकरी (अरजुन्दा) जिला बालोद के निवासी है उन्होने दिल्लीवार कुर्मी समाज रौना सर्किल के पदाधिकारीयों एवं अपने ही परिजनो के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार किये जाने का मामला जोर शोर से उठाया था संदीप ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक महोदय, माननीय गृहमंत्री छ.ग. शासन, महामहीम राज्यपाल महोदया, छ.ग. मानवाधिकार आयोग, विधायक गुन्डरदेही, विधिक सेवा प्राधिकरण मुख्यन्यायाधीश नई दिल्ली तथा प्रधान मंत्री कार्यालय नई दिल्ली भारत सरकार के साथ साथ जन प्रतिनिधीयों तथा सोशल मिडिया के माध्यम से अपने 24 साल सामाजिक बहिष्कार के देश को सहने तथा परिवार से अलग रहने बावत् मामला शिकायत के रूप में किया था। जिसे कई जनप्रतिनिधियों द्वारा दबाने का प्रयास भी किया गया। लेकिन संदीप देशमुख ने जो स्वयं पुलिस विभाग में सेवा दे रहे है उन्हें अपने विभाग पर पूर्ण भरोसा था, न्याय जरूर मिलेगा । दोनों पक्षों को बालोद पुलिस द्वारा जांच दौरान सुनने के बाद विधिवत कथन लेकर स्वतंत्र जांच किया गया जांच दौरान पाया गया कि संदीप देशमुख को कभी भी समाज से बहीष्कृत नही किया गया है, ऐसा समाज के पदाधिकारियों द्वारा स्टांप पेपर में लिख कर शपथ पत्र दिया गया है कि , संदीप को समाज से बहीष्कृत नहीं किया गया है वह समाज का अभिन्न सदस्य था और रहेगा, उन्हें किसी प्रकार से सामाजिक क्रिया-कलाप रीति-रिवाज तथा अन्य समारोह कार्यक्रमों व आयोजन में आ जा सकता है। समाज ने उनके परिवार द्वारा संदीप भ्रम में रखना बताया और समाज के नियम का हवाला देकर भय का वातावरण पैदा किया बताया। संदीप देशमुख की माता जी ने भी यह सवाल उठाया था कि तुम्हें हम क्यों पुछ-परख रखे तुम सामाजिक आदमी हो क्या ? जब कि उनकी माता जी स्वयं शिक्षिका रह चुकी है।
जैसा कि पूर्व की जानकारी है कि संदीप ने पूरे सबुत के साथ सामाजिक बहीष्कार किये जाने और पिता के मृत्यु के समय उनके पार्थिव शरीर को नहीं छुने देने अंतिम संस्कार से वचिंत किये जाने का दावा पेश किया था जिसे समाज में स्वीकार कर अपने सभी दस्तावेजों तथा सामाजिक नियमावली को खारिज किया जाना शपथ पत्र में उल्लेखित किया है।
“सत्य परेशान हो सकता है किन्तु पराजित नही” कहावत को संदीप के प्रयासो ने चारितार्थ किया है। निश्चित ही दिल्लीवार कुर्मी समाज में अन्य बहीष्कृत व्यक्तियों पर यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा । हालाकि संदीप ने जांच कार्यवाही में कुछ त्रुटियां बताया है कि समाज के अन्य प्रांतीय पदाधिकारियों का बयान नही लिया गया तथा कुछ अनावेदकों को ही गवाह बना दिया गया है,
स्वतंत्र गवाहों का कथन नही लिया गया तथा गांव जाकर सत्यता की जांच करना था जिससे जांच कार्यवाही में छ महिनों का समय नहीं लगता बल्कि शीघ्र ही न्याय मिल जाता खैर . देर आये दुरूस्त आये, सामाजिक पदाधिकारियों द्वारा शपथ पत्र देकर सामाजिक व्यक्ति होने तथा समाज के मुख्य धारा में शामिल होने का प्रमाण देने से संदीप और उनका परिवार (पत्नी और बेटी ) अत्यन्त उत्साहित हैं।
देखना है कि कुर्मी समाज के द्वारा सामाजिक बहीष्कार नही किये जाने बावत् शपथ पत्र निकट भविष्य में क्या आचुल परिवर्तन समाज में लायेगा ? अथवा सामाजिक जटिलताये अब भी जारी रहेगी।