महिला आयोग अध्यक्ष को माननीय उच्च न्यायालय से मिला स्थगन आदेश

महिला आयोग अध्यक्ष को माननीय उच्च न्यायालय से मिला स्थगन आदेश

कल दिनांक 19/12/23 को माननीय उच्च न्यायालय में माननीय अधिवक्ता ने याचिका दायर किया था जिस पर आज दिनांक को माननीय जस्टिस चंद्रवंशी जी ने स्थगन आदेश पारित किया है इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा जी. पूर्व महाधिवक्ता तथा अधिवक्ता मनहरण लाल साहू, गीतू शर्मा, नीलम जयसवानी ने याचिका प्रस्तुत किया था प्रकरण की गभीरता को देखते हुए आज शीघ्र सुनवाई का अनुरोध स्वीकार किया गया और सुनवाई में माननीय न्यायालय ने जो निर्देश दिया है वह निम्नानुसार है (जिसकी जानकारी अधिवक्ता महोदय ने दिया है।)

"माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के प्रकरण में सुनवाई हुआ। ऑनरेबल जस्टिस श्री चंदवशी साहब के द्वारा सुना गया। इस प्रकरण को माननीय न्यायालय ने पूरा सुनने के बाद डा. किरणमयी नायक के पक्ष में स्थगन आदेश दिया है। माननीय उच्च न्यायालय ने यह कहा है कि आगामी आदेश तक डी. किरणमयी नायक को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद से ना हटाया जाये तथा जो पी 2 डॉक्यूमेंट था, जिसके तहत छत्तीसगड शासन ने दिनांक 13/12/2023 ये ऑर्डर जारी किया गया था कि सभी निगम / मंडल/आयोग के पदों को भंग किया जाए। राजनीतिक पदो पर बैठे हुए व्यक्तियों को, सभी आयोग मंडल के पदाधिकारियों को उसको आपके संदर्भ में कोर्ट ने स्टे किया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक आगामी आदेश ना पारित किया जाए तब तक डॉ. किरणमयी नायक के खिलाफ किसी तरह का जबरिया कार्यवाही ना की जाए उनको हटाने का उनको काम करने की अनुमति दी जाये।"

महिला अयोग का पद नियुक्ति को मनमाने तरीके से निरस्त करने का अधिकार शासन को नहीं है और एक बार हुए नियुक्ति को समय के पूर्व रद्द करने का अधिकार शासन को नहीं है यह जानते हुए भी जो आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने निकाला था वह पूर्णत मनमाना और राजनैतिक दुर्भावना वश किया गया कार्य था इसलिए इसे माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दिया गया था। वर्तमान में महिला आयोग अध्यक्ष का कार्यकाल 24 जुलाई 2026 तक शेष है। उका अवधि में उन्हें जबरिया तरीके से राज्य शासन अब नहीं हटा सकेगी।

महिला आयोग अध्यक्ष के कार्य करने में रोक लगाने की दिशा में राज्य शासन ने सुरक्षा अधिकारियों को भी वापस ले लिया है सुरक्षा में कोई भी चूक होती है तो ऐसी दशा उसके लिए राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन जिम्मेदार रहेगा।