भारत के वैज्ञानिकों ने खोजा बर्ड फ्लू वायरस का टीका

भारत के वैज्ञानिकों ने खोजा बर्ड फ्लू वायरस का टीका

दुनिया भर में इन्सानों के लिए सबसे घातक संक्रमणों में से एक को काबू करने के लिए भारत ने कदम बढ़ाया है। एक लंबी मैराथन के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने एवियन इन्फ्लुएंजा (एच5एन1) यानी बर्ड फ्लू वायरस का टीका खोज लिया है। केरल में इस वायरस को 10 दिन पुराने भ्रूणयुक्त मुर्गी के अंडे से जीवित पकड़ा गया जिसके बाद महाराष्ट्र में निष्क्रिय किया गया और उसके बाद कर्नाटक में जाकर उच्च क्षमता वाली प्रयोगशाला में इसका परीक्षण हुआ और उससे टीके की खोज हुई।

भारत के लिए यह इसलिए भी अहम है क्योंकि अत्यधिक घातक रोगजनकों की सूची में एवियन इन्फ्लूएंजा (एच5एन1) शामिल है जिसमें म्यूटेशन होने पर कोरोना की तरह व्यक्ति से व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता है। मनुष्यों में इस वायरस की मृत्यु दर सबसे अधिक है। अभी तक चपेट में आने वाले 50 फीसदी से ज्यादा मारे गए।

डब्ल्यूएचओ ने दी जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनियाभर में एक जनवरी 2003 से 12 दिसंबर 2024 तक 24 देशों में इस वायरस से मानव संक्रमण के 954 मामले सामने आए जिनमें 464 ने जान गंवाई है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक पिछले काफी समय से इस वायरस को नियंत्रण में लाने पर अध्ययन कर रहे हैं। इस बीच  शोधकर्ताओं ने एम-आर एन ए तकनीक का उपयोग करते हुए टीका की खोज की है जिसके उत्पादन और परीक्षण के लिए अब आईसीएमआर ने प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगा है।

भ्रूणयुक्त अंडे की सतह पर चिपका वायरस
शोधकर्ताओं ने बताया कि जब 10 दिन पुराने भ्रूणयुक्त अंडे से 2.3.4.4बी क्लैड वाले इस वायरस का स्वरूप पृथक किया। इस दौरान पाया कि यह वायरस एमडीसीके सेल लाइन में भी फैला हुआ था जिससे वायरस के उच्च टिटर का पता चला जो संक्रामक वायरस की उच्च मौजूदगी को बताता है। बीटा प्रोपियोलैक्टोन तकनीक का उपयोग करते हुए वायरस को निष्क्रिय किया गया। यह एक कार्बनिक यौगिक है जो डीएनए और प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करता है। फिलहाल सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी को लेकर खरगोश और मुर्गियों पर अध्ययन किया जा रहा है।

भारत को अब तक करोड़ों का नुकसान दे चुका यह वायरस
आईसीएमआर ने जानकारी दी है कि एच5एन1 वायरस भारत में पशु और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए बड़ा जोखिम है। हाल ही में साल 2021 से 2024 के बीच कई राज्यों में अलग-अलग प्रसार देखने को मिले हैं। 2006 से अब तक इसकी वजह से भारत के पोल्ट्री उद्योग को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। भारत में अभी तक इन्सानों में जोखिम सामने नहीं आया लेकिन बीते कुछ समय में पोल्ट्री और पक्षी बाजारों में बार-बार इन्सान और जानवरों के बीच संपर्क ने इस खतरे को बढ़ाया है।