राज्य शासन का दोहरा व्यवहार- छत्तीसगढ़ी अतिथि व्याख्याता महासंघ
छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ ने महाविद्यालयीन अतिथि व्याख्याताओं के ऊपर राज्य शासन के दोहरे रवैए को लेकर उग्र आंदोलन करने का मन बना लिया है क्योंकि जब शासन को महाविद्यालय व्यवस्था चरमरा जाती है तो अतिथि व्याख्याता याद आते हैं और उसके बाद उसे बाहर कर देते हैं।
हद तो तब हो गई जब छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ के पदाधिकारी उच्च शिक्षा मंत्री, सचिव उच्च शिक्षा, आयुक्त उच्च शिक्षा से मिलते हैं और आश्वस्त करते हैं कि कुछ दिन रुके, बात कह कर और यहां कुलपतियों की मीटिंग लेकर जनभागीदारी से पढ़ाने की व्यवस्था की बात करते हैं यह बात अभी हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग में सामने आया तो महोदय जी ऐसा क्यों?
अतिथि व्याख्याताओ के संबंध में आपको हमारे लिए 65 साल की व्यवस्था बनानी होगी वह इसलिए हमें आपकी व्यवस्था से छत्तीसगढ़ के महाविद्यालयों में पढ़ाने की अनुमति मिलती जा रही थी और हमारा भी चयन योग्यता के आधार पर हुआ है। इसलिए पूरे नियम को शिथिल करते हुए हमारे लिए नियमित्त 65 साल की व्यवस्था बनाएं जो छत्तीसगढ़ शासन के अधिकार में है। कहावत "छत्तीसगढ़िया सरकार" यहां पर फिसड्डी साबित होते नजर आ रही है हम सब अतिथि छत्तीसगढ़िया हैं और यह हमें ही दोहरा रवैया अपनाकर बाहर करना चाह रही है यह एक सोचनीय बात है।
छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ की एक ही मांग 65 साल की निमित्त व्यवस्था यह जानकारी महासंघ प्रमुख महेंद्र सिंवारे, प्रेमचंद देवांगन, संतोष, डॉ अजय शर्मा, राजेंद्र गेंद्रे, अमित दुबे, शिवचरण बंजारे, रविंद्र सिंह ने कहा और शासन प्रशासन से पुरजोर निवेदन किया है कि हमारी मांग को जल्दी एक नियम बनाकर उच्च शिक्षा के अधिकारियों को आदेशित करें।