देश-विदेश CBI ने 24 साल से फरार करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका से किया गिरफ्तार

नई दिल्ली। ज्वेलरी व्यवसाय के नाम पर दो भाइयों के साथ मिलकर की थी धेखाधड़ी मामले में 24 साल से फरार मोनिका कपूर को सीबीआई ने अमेरिका से हिरासत में लिया है। सीबीआई की टीम बुधवार रात भारत पहुंचेगी। केंद्रीय एजेंसी अमेरिका से मोनिका कपूर को हिरासत में लेकर एक अमेरिकी एयरलाइंस की फ्लाइट से भारत रवाना हो चुकी है। सीबीआई ने अमेरिका से मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण के लिए 19 अक्तूबर 2010 को औपचारिक अनुरोध भेजा था। कई वर्षों की बातचीत और समन्वय के बाद अब अमेरिका ने मोनिका को भारत को सौंप दिया है। जानकारी के अनुसार मोनिका कपूर 1999 में कथित धोखाधड़ी के बाद अमेरिका भाग गई थी। उस पर आरोप है कि उन्होंने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर ज्वेलरी व्यवसाय के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए, जिनका इस्तेमाल भारतीय सरकार से कच्चे माल के शुल्क-मुक्त आयात के लाइसेंस लेने में किया गया। इस कथित धोखाधड़ी से भारतीय राजस्व को 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 5.7 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ था। भारत ने अक्तूबर 2010 में अमेरिका से मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था, जो दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत किया गया था। मोनिका कपूर दिल्ली की ओवरसीज नाम की फर्म की मालकिन है। सीबीआई का कहना है कि मोनिका ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर नकली एक्सपोर्ट दस्तावेज, जैसे शिपिंग बिल, चालान (इनवॉइस) और बैंक सर्टिफिकेट बनवाए। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने सरकार से ड्यूटी-फ्री सोना (गोल्ड) आयात करने के लिए छह लाइसेंस लिए, जिनकी कीमत 2.36 करोड़ रुपये थी। फिर इन लाइसेंसों को उन्होंने गुजरात के दीप एक्सपोर्ट्स नाम की कंपनी को ऊंचे दाम पर बेच दिया। इस कंपनी ने इन लाइसेंसों का इस्तेमाल कर ड्यूटी-फ्री सोना मंगवाया, जिससे सरकार को लगभग 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर और उनके दोनों भाइयों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 120-B (षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 और 471 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन खन्ना और राजीव खन्ना को दोषी करार दे दिया। लेकिन मोनिका कपूर जांच में शामिल नहीं हुईं। कोर्ट ने 13 फरवरी 2006 को उन्हें घोषित अपराधी घोषित कर दिया और 2010 में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का खुला गैर-जमानती वारंट और रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।