डब्ल्यूआरएस में होगा 101 फीट ऊंचे रावण का पुतला दहन
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राजधानी के डब्ल्यूआरएस स्थित ऐतिहासिक दशहरा मैदान में इस बार 101 फीट ऊंचा रावण का पुतला दहन किया जाएगा। बंगाल से आए कारीगरों की टीम पिछले एक माह से दिन-रात इस काम में जुटी हुई है।
साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला भी जलाया जाएगा। दशहरा उत्सव में भव्य आतिशबाजी देखने को मिलेगी। इसके लिए कोलकाता से आतिशबाज बुलाए जा रहे हैं।
रेलवे प्रशासन के सहयोग से सार्वजनिक दशहरा उत्सव समिति और नेशनल क्लब छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े दशहरा उत्सव के कार्यक्रम को आयोजित करने में जुटे हैं। आयोजन समिति के संरक्षक जी. स्वामी, अध्यक्ष महापौर एजाज ढेबर और समिति के सचिव राधेश्याम विभार ने रविवार को संयुक्त पत्रकारवार्ता में यह जानकारी दी।
महापौर ढेबर ने बताया, डब्ल्यूआरएस के ऐतिहासिक दशहरा उत्सव में इस बार एक लाख दर्शकों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों से भी लोग यहां दशहरा उत्सव का आनंद उठाने डब्ल्यूआरएस मैदान पहुंचते हैं। पिछले 52 साल से राजपाल लुंबा ऐतिहासिक दशहरा उत्सव के लिए रावण पुतला बनाने का काम करते रहे। उनके निधन के बाद राजा भाई इस बार 101 फीट ऊंचा रावण पुतला बनाने अपनी टीम के साथ महीनेभर से जुटे हुए हैं।
समिति के अध्यक्ष एजाज ढेबर, सचिव राधेश्याम विभार ने पत्रकारवार्ता में बताया, दर्शकों की भीड़ देखते हुए दशहरा मैदान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। रेलवे ट्रेक के पास 200 जवान सुरक्षा के लिहाज से तैनात रहेंगे। 2 जगह बैरिकेड्स लगाए जाएंगे। रेलवे प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग के संयुक्त सहयोग से दशहरा उत्सव की तैयारी जोर- शोर से की जा रही है।
सप्रे स्कूल मैदान में होगा 55 फीट रावण का पुतला दहन
वहीं शहर के बीच सप्रे स्कूल में 55 फीट का रावण और 45- 45 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाथ का दहन किया जाएगा। बूढ़ापारा दशहरा उत्सव को खास बनाने के लिए समिति 24 अक्टूबर को रावण दहन से पहले पतंग व मांझा उपलब्ध कराते हुए प्रतिभागियों को पतंगबाजी में विजेता बनने व ईनाम जीतने का अवसर देगी। उत्सव के इस 13वें आयोजन में समिति ने 35 हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद जताई है।
समिति के पदाधिकारी विजय चोपड़ा, लक्ष्मण गवली, अजय देवांगन ने रविवार को पत्रकारवार्ता में बताया कि इस वर्ष भी दशहरा उत्सव मनाया जाएगा। शहर की परंपरा रही है कि विजयादशमी के दिन दोपहर 12 बजे से पतंगबाजी की जाती थी। मोबाइल के दौर में यह परंपरा विलुप्त हो रही है। इसे जीवित रखने का प्रयास समिति द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए बच्चों को पतंग और मांझा निशुल्क दिया जाएगा। इसमें विजेता को क्रमशः 3100, 2100 और 1100 रुपए ईनाम दिया जाएगा। श्री गवली ने बताया कि इस आयोजन की नींव बूढ़ापारा के युवा सदस्यों के साथ मिलकर मनीष वोरा ने रखी थी। उनके नेतृत्व में इस आयोजन का स्वरूप प्रतिवर्ष भव्य होता गया। रावण का निर्माण स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। आयोजन में आकर्षण का केंद्र 30 मिनट चलने वाली आतिशबाजी होगी। इसका आनंद लोग शाम 6.45 बजे से ले सकेंगे।