छत्तीसगढ़ में जल्द लागू हो सकता है पेसा कानून जानिए कैसे होंगे नियम ?
छत्तीसगढ़ की सरकार आगामी कैबिनेट मीटिंग में पेसा कानून पर फैसला ले सकती है. ये कानून वनों में रहने वाले आदिवासियों को कई अधिकार देगा.
छत्तीसगढ़ में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन ऑफ शेड्यूल एरिया) कानून लागू किए जाने की कवायद तेज हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद कह चुके हैं कि आगामी कैबिनेट की बैठक में पैसा कानून के नियम पारित कर दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद साफ हो गया है कि राज्य सरकार जल्द प्रदेश में पेसा कानून लागू करने जा रही है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ''कांग्रेस हमेशा से आदिवासियों के साथ रही है. उनके हित की रक्षा करती रही है. वह फॉरेस्ट राइट एक्ट लाने की बात हो या पेसा कानून की बात हो. पेसा (पंचायत एक्सटेंशन ऑफ शेड्यूल एरिया) का एक्ट लागू है. रमन सिंह 15 सालों में इसके नियम नहीं बना पाए. नियम बनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. मैंने कहा है कि कैबिनेट की अगली बैठक में पेसा नियम पारित किया जाएगा. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ''भाजपा ने शुरू से ही आदिवासियों को दबाया है.उनका हक छीना है। उनकी नीतियों की वजह से हजारों परिवारों को बस्तर से पलायन करना पड़ा था''
आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों और पंचायतों को अधिकार देना पैसा कानून है. इस कानून के लागू होने के बाद उनके क्षेत्र ने आदिवासियों की सहमति से सब काम होते हैं.इस कानून पर केंद्र सरकार ने भी सहमति दी थी.कांग्रेस के द्वारा अपने जन घोषणा पत्र में पेसा कानून लागू करने की बात कही थी. अब इस कानून पर अमल करने के लिए लगातार पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के माध्यम से बैठकें हो रही है. किस तरह से पेसा कानून बने इसके लिए आदिवासी संगठनों जनप्रतिनिधियों से राय मांगी जा रही है. वैसे तो आदिवासी इलाकों के लिए बहुत सारे कानून हैं.लेकिन उन कानूनों से अधिक मजबूत,अधिकार संपन्न और उनके विकास के लिए पेसा कानून लाया जा रहा है.'
जंगली इलाकों में किसी काम के लिए सरकार कि ही नहीं बल्कि आदिवासियों की सहमति भी जरुरी होगी. इस कानून के लागू होने से उन इलाकों में सरकार की मनमर्जी के अलावा उन क्षेत्र के लोगों की सहमति से ही काम होंगे. उनको अधिकार दिए जाएंगे. कमेटियों समितियों और आदिवासी वर्ग से बात करके ही पेसा कानून बनाया जा रहा है.
यह कानून थोड़े समय के लिए नही बल्कि धरातल में उन क्षेत्रों के विकास के लिए ,उन वनवासियों विकास के लिए जरुरी है. कानून बहुत सारे बनते हैं कानूनों का फायदा लोगों को नहीं मिलता है, दूसरों ले जाते है. कानून का दुरुपयोग होता है. जो इसमें ना हो यह देखते हुए आगामी दिनों में पेसा कानून को मंजूरी मिलेगी. 22 साल से ज्यादा का समय बीत गया है इस प्रदेश को बने हुए .पिछली सरकारों ने पेसा कानून लागू करने की दिशा में काम नहीं किया है.
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 या पेसा, अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र द्वारा अधिनियमित किया गया था. यह कानूनी रूप से जनजातीय समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को नियंत्रित करने के अधिकार को मान्यता देता है. प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी स्वीकार करता है.
इस उद्देश्य के अनुसरण में, पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है. इसमें नीतियों को लागू करने वाली प्रक्रियाएं और कर्मी, लघु (गैर-लकड़ी) वन संसाधनों, लघु जल निकायों और लघु खनिजों पर नियंत्रण रखने, स्थानीय बाजारों का प्रबंधन, भूमि के अलगाव को रोकने और अन्य चीजों के साथ नशीले पदार्थों को नियंत्रित करने वाले शामिल हैं.