उत्तर-दक्षिण जाकर हम मिल रहे हैं: टीएस सिंहदेव
बस्तर दौरे से रायपुर लौटे टीएस सिंहदेव ने कई मामलों पर मीडिया से बात की.
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव बस्तर दौरे के बाद शनिवार को रायपुर पहुंचे. उन्होंने अपने शासकीय आवास में पत्रकार वार्ता ली. इस दौरान उन्होंने अपने बस्तर प्रवास सहित कई अन्य मुद्दों पर पत्रकारों से चर्चा की. सिंहदेव ने रमन सिंह के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा कि 'उत्तर दक्षिण जाकर हम मिल रहे हैं. भूपेश भाई कप्तान हैं, हम खिलाड़ी हैं. कोई लड़ाई नहीं है. सब मिलकर क्षेत्र में दौरा कर रहे हैं'.
बस्तर दौरे के दौरान कलेक्टर और एसपी की अनुउपस्थित के सवाल पर मंत्री सिंहदेव ने कहा कि' अधिकारियों में शिष्टाचार तो होनी चाहिए. यदि मंत्री उनके क्षेत्र में जाए तो अधिकारियों को शामिल होना चाहिए. व्यवहार और आचरण बनता है, तो उन्हें मिलना चाहिए. इसके लिए मैं शिकायत नहीं करुंगा क्योंकि इज्जत देना आप नहीं सीखा सकते'.
हेलीकॉप्टर के नहीं मिलने पर सिंहदेव ने कहा कि 'मैंने योजना तो जनवरी में बनाया था, लेकिन हो नहीं पाया. इसलिए मैंने अपनी व्यवस्था कर यह दौरा शुरू किया.
सिंहदेव ने कहा कि 'अगला फोकस पेसा कानून पर होगा. दौरे के दौरान ग्राम सभा की कमी देखी है. ग्राम सभा में हर महीने होने वाली बैठक पर काम नहीं हो रहा है. जिसकी कमी देखी गई. अधिकारियों को ग्राम सभा की बैठक हर महीने करने के निर्देश दिए है. गैर अनुसूचित समाज के लिए अनुपातिक समाज के लिए प्रतिनिधि आयेंगे, उनकी समिति अनुपातिक लाभ मिलेगा. पेसा नियमों को लेकर लोग भ्रम फैला रहे है. ग्राम सभा मजबूत नहीं है, ग्राम सभा का अधिकार पेसा कानून में है'.
कोयला खदानों के आबंटन को लेकर ग्रामीणों के विरोध पर मंत्री ने कहा- 'मेरे विधानसभा के लोग स्वयं जमीन नहीं देना चाहते. वे कहते है कि दोबारा ग्राम सभा का आयोजन किया जाए. दोबारा ग्राम सभा करना चाहिए. गांव के बाहर के लोगों को गांव का आदमी बताकर प्रस्ताव कहीं-कहीं पेश किया गया है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.ग्राम सभा कराने में दिक्कत क्या है. आज ग्राम सभा करने में दिक्कत क्या है, यह अनावश्यक मुद्दा बना हुआ है".
ये हाई कमान पर हैं. अब तो साढ़े 3 साल हो गए हैं. इसका निर्णय हाई कमान ही ले सकता है.
जन घोषणा पत्र में नक्सलियों से बातचीत की घोषणा पर सिंहदेव ने कहा कि 'संविधान के दायरे में बातचीत का रास्ता खुला हुआ है. प्रदेश की जेलों में बंद बेकसूर आदिवासियों को छोड़ने की बात की गई थी. जिनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं है. उसके बावजूद 3 सालों से जेल में बंद है. एक समय सीमा के अंदर पूरे मामले की जांच होनी चाहिए'