पूंजीपतियों के लिए वरदान और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अभिशाप सिद्ध हुई नोटबंदी
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोट बंदी का ऐलान किया था। उस घटना को 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं मगर आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसका का दुष्प्रभाव बना हुआ है। रात 8 बजे अचानक से मोदी 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर करने का तानाशाही भरा ऐलान कर दिया था जिसके बाद देश के आमजनों में हड़कंप मच गया और आम लोग अपनी जमा पूंजी बचाने के लिए संघर्ष करने लगे। बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग गयी और मोदी सरकार की क्रूर नीति ने 100 से अधिक निर्दोष लोगों की जान ले ली और कई लोगों ने आत्महत्या तक कर ली। जनता के गुस्से को कम करने और उनकी सहानुभूति पाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बुजुर्ग माँ को भी बैंक की लाइन में खड़ा कर दिया। नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से कहा था कि यदि मेरी कोई गलती निकल जाए तो देश की जनता जिस चौराहे पर जो सजा देना चाहे वह सजा भुगतने को तैयार हूं, मगर मोदी ने आज तक अपने क्रूरतम अपराध के लिए माफी तक नहीं मांगी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार की नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था का हाल आज भी बुरा बना हुआ है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, महंगाई के कारण आम लोग दिन-ब-दिन अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से दूर होते जा रहे हैं। महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार के कारण गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है। यूपीए सरकार के समय 2004 से 2014 के बीच 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए थे। मोदी सरकार ने 2021 तक 23 करोड़ लोगों को फिर से गरीबी के अंधेरे में धकेल दिया। आज देश में 5.6 करोड़ भारतीय अत्यधिक गरीब की श्रेणी में आ चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नोटबंदी से उपजने वाली त्रासदी को समझते हुए देश के कई अर्थशास्त्रीयों, आरबीआई के गवर्नर और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से स्पष्ट रूप से चेताया था की यह निर्णय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर देगा मगर अपने पूंजीपति मित्रों के काले धन को सफेद करने पर आमादा मोदी सरकार ने सारी बातों को अनसुना कर दिया। नोटबंदी का लाभ केवल कुछ उद्योगपतियों को मिला मगर इसका नुकसान पूरे देश को झेलना पड़ा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के आंकड़ों के अनुसार 2016-17 की अंतिम तिमाही में ही लगभग 15 लाख लोगों की नौकरियां चली गई, लाखों संस्थान बंद हो गए जो लोगों को रोजगार देते थे। नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि काला धन समाप्त हो जाएगा मगर 15.44 लाख करोड़ में से 99.3 प्रतिशत नोट वापस आ गए। नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि आतंकवाद समाप्त हो जाएगा मगर देश में पुलवामा जैसा बड़ा आतंकवादी हमला हुआ। केंद्रीय गृह मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में जम्मू कश्मीर में कुल 322 आतंकवादी हमले हुए, 2017 में 350 से ज्यादा आतंकी हमले हुए। कुल मिलाकर नोटबंदी देश का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ जिसके द्वारा कुछ उद्योगपतियों के काले धन को सफेद किया गया। नोटबंदी के कारण कई बेटियों की शादी नहीं हो पाई, कई बीमारों और बुजुर्गों का इलाज नहीं हो पाया, कई लोगों ने आत्महत्या कर ली और अर्थव्यवस्था आज भी जर्जर बनी हुई है। इस अपराध के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।