श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ
खरोरा ;---श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी महाराज का वांग्मय स्वरूप है , जो कली काल के समस्त दोष ताप और पाप को नाश कर मृत्यु को भी मंगलमय बनाता है । यह इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है , जो किसी व्यक्ति के पुरुषार्थ के कारण ही नहीं पिछले जन्मों के पुण्य अर्जित होने के कारण मिलता है । यह उद्गार खरोरा नगर में आयोजित संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन भागवत महात्म का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवत आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया
श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया जिसमें नगर के अनेक महिलाओं ने बड़ी श्रद्धा के साथ भाग लिया , तथा पुरुषों ने भजन संकीर्तन के साथ जयकारा करते हुए बड़े हर्षोल्लास के साथ सहभागी हुए । कथा महात्म का विस्तार से वर्णन करते हुए आचार्य ने बताया कि भागवत रुपी सत्कर्म से ही भक्ति के दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य की जरा अवस्था दूर हुई और भयानक प्रेत योनि में पड़ा हुआ धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई वही राजा परीक्षित जिसे अकाल मृत्यु का भय था भागवत की कृपा से उसे ब्रह्म सायुज्य प्राप्त हुआ । श्रीमद्भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है , जो भवसागर को भाव सागर बनाकर मृत्यु को भी मंगलमय बनाने वाला पंचम वेद तथा पुराणों का तिलक है । प्रथम बिन आचार्यों के द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ विधियों की पूजा प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई , मधुर संगीत एवं संकीर्तन का आनंद सभी श्रोताओं ने प्राप्त किया , प्रथम दिन के कार्यक्रम में ईश्वरी दाऊजी , हेमंत कुमार वर्मा , एकनाथ पाटील , शरद कुमार साहू , अनिल कुमार ठाकुर., संजय कुमार अग्रवाल , बाबा अग्रवाल , मिलिंद देवांगन , श्रीमती प्रभा वर्मा , श्रीमती मंजू शंकरलाल कुंभा कार , पितांबर कुंभकार , राधेश्याम कुंभा कार , भरत कुंभकार पार्षद , एवं अनेक श्रोता गण उपस्थित थे , श्रीमद् भागवत कथा के यजमान श्रीमती रेणुका राजेंद्र वर्मा , श्रीमती अंबिका गाला बंछोर द्वारा अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने का आग्रह किया गया है ।