रिश्वत और वसूली कांड में पूरे थाना स्टाफ पर गाज, 4 आरक्षक निलंबित

महासमुंद जिले में पुलिसकर्मियों की गंभीर लापरवाही और वसूली की शिकायतों पर पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह ने कड़ा कदम उठाया है। गौ-तस्करी के नाम पर किसानों से पैसे वसूलने और गांजा तस्करों से रिश्वत लेकर छोड़ने के मामले में बलौदा थाना का पूरा स्टाफ बदल दिया गया है। वहीं पटेवा थाना में ड्यूटी पर तैनात 4 आरक्षकों को निलंबित कर उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है।
गांजा तस्करी मामले में रिश्वत लेकर आरोपी को छोड़ा
5 सितंबर को पटेवा पुलिस ने भीखम चंद्रवंशी (27), निवासी कबीरधाम को 20 किलो गांजा के साथ पकड़ा था। आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने एक ढाबा संचालक के अकाउंट में 60 हजार रुपये की रिश्वत ऑनलाइन ट्रांसफर करवाई और आरोपी को छोड़ दिया। बाद में कवर्धा पुलिस ने उसी आरोपी को 15 नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया, तब उसने पटेवा थाना पुलिस को रिश्वत देकर छूटने की बात कबूल की।
इस मामले में आरक्षक देव कोसरिया, अनिल गिलहरे, शुभम पांडे और नरेश कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया गया है।
किसानों से की वसूली, पूरे बलौदा थाना का तबादला
उड़ीसा के सोनपुर जिले के दो किसान कलाकान्हू नायक और परीक्षित देवरी मुख्यमंत्री कामधेनु योजना के तहत गाय खरीदने छत्तीसगढ़ आए थे। दस्तावेज दिखाने के बावजूद बलौदा थाना पुलिस ने उन्हें गौ-तस्करी का आरोपी बनाकर थाने ले गई और 4 लाख रुपये की मांग की। रुपये न देने पर किसानों के कपड़े उतरवाकर लॉकअप में बैठा दिया गया और उनके पास रखे 60 हजार रुपये जब्त कर लिए गए।
इसके अलावा वाहन चालक से भी 20 हजार रुपये वसूले गए और उसे 3,500 रुपये की रसीद थमा दी गई। विरोध करने पर किसानों और चालक को धमकाकर भगा दिया गया।
एसपी की सख्त कार्रवाई
किसानों और चालक से कुल 80 हजार रुपये वसूली की शिकायत पर एसपी आशुतोष सिंह ने पूरे बलौदा थाना स्टाफ को हटा दिया और नई टीम की तैनाती कर दी है। दोनों मामलों में हुई कार्रवाई जिलेभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा में हैं।