' विधायकों की जान को है खतरा' : महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच शिंदे गुट ने SC से कहा
शिंदे गुट की अर्जियों पर कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. दो जजों की बेंच सुनवाई कर रही है. शिंदे गुट की ओर से नीरज किशन कौल बहस कर रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने शिंदे गुट से पूछा, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. कौल ने कहा कि हमारे पास 39 विधायक है. सरकार अल्पमत में है. हमे धमकी दी जा रही है . हमारी संपत्ति जलाई जा रही है . बॉम्बे कोर्ट में सुनवाई के लिए माहौल नहीं है.
शिंदे गुट की अर्जियों पर कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. दो जजों की बेंच सुनवाई कर रही है. शिंदे गुट की ओर से नीरज किशन कौल बहस कर रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने शिंदे गुट से पूछा, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. कौल ने कहा कि हमारे पास 39 विधायक है. सरकार अल्पमत में है. हमे धमकी दी जा रही है . हमारी संपत्ति जलाई जा रही है . बॉम्बे कोर्ट में सुनवाई के लिए माहौल नहीं है.
शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दाखिल की है. अर्जी में बागी विधायकों की जान को खतरा बताया गया है. उन्होंने कहा कि शिवसेना कैडर से उनका जीवन गंभीर खतरे में है. आरोप लगाया कि संजय राउत की धमकी कि 'उनके शव गुवाहाटी से आएंगे' का मतलब है कि महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था महा विकास अघाड़ी सरकार के नियंत्रण में नहीं है.
शिंदे गुट की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हमें नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप कह रहे हैं कि आपको अपनी जान की चिंता है. दूसरा आप कह रहे हैं कि स्पीकर ने आपको पर्याप्त समय नहीं दिया है. कौल ने कहा कि इस मामले में डिप्टी स्पीकर बेवजह जल्दबाजी में हैं. उन्होंने आज शाम पांच बजे तक का समय दिया है. ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. शिंदे गुट ने कहा कि नियम के मुताबिक 14 दिनों के नोटिस का समय होता है.
SC ने कहा कि नोटिस के बारे में बताइए. कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का फैसला नहीं हो जाता वो अयोग्यता पर कार्यवाही नहीं कर सकते. वो जल्दबाजी में कदम उठा रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपने ये आपत्ति डिप्टी स्पीकर के सामने क्यों नहीं उठाई. कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ का ही फैसला है. शिंदे गुट ने कहा कि 22 जून को नोटिस दिया गया कि आप शाम को मीटिंग में आएं. उसके बाद 23 जून को डिप्टी स्पीकर के पास अयोग्यता को लेकर अर्जी दी गई. डिप्टी स्पीकर ने केवल 2 दिनों का समय दिया.
नीरज किशन कौल ने कहा कि सदन के पटल पर कार्य या वोट से संबंधित पार्टी की बैठक को दसवीं अनुसूची की आड़ में विधिवत निर्वाचित सदस्यों को अयोग्य घोषित करने के हथियार में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है. कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों से निपट चुका है. कोर्ट ने कहा कि हम समझते हैं कि आप खतरे को महसूस कर रहे हैं . हमारे पास सत्यापित करने का कोई साधन नहीं है लेकिन आप दावा कर रहे हैं.अन्य मुद्दा यह है कि आप उचित समय की कमी कहते हैं. समय खत्म हो रहा है .कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का इस तरह से काम करना जायज़ नहीं है.
शिंदे गुट ने नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि स्पीकर के पास विधायकों की अयोग्यता का फैसला करते समय सभी सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, तभी वो फैसला कर सकते हैं. लेकिन यहां खुद स्पीकर ही अविश्वास के दायरे में हैं. शिंदे के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के अरुणाचल प्रदेश मामले में दिए गए फैसले का भी जिक्र किया और कहा जब तक स्पीकर को हटाने पर फैसला नहीं होता, अयोग्यता की कार्यवाही नहीं हो सकती.
अगर स्पीकर को हटाने पर फैसले से पहले अयोग्यता कार्यवाही हुई तो ये गंभीर पूर्वाग्रह होगा . ये संवैधानिकता के तहत अस्वीकार्य है. स्पीकर खुद अपने हटाने पर फैसला करने के लिए प्राधिकारी नहीं है. इसलिए हम इस आपत्ति को लेकर स्पीकर के पास नहीं गए . सुप्रीम कोर्ट के पास आए हैं. डिप्टी स्पीकर का रवैया भेदभावपूर्ण हैं. जबकि उन्हें हटाने संबंधी मोशन लंबित हो और वो सदस्यों को अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया शुरू करने का नोटिस कैसे जारी कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट, अयोग्यता पर पहले भी फैसले दिए हैं. इस मामले में डिप्टी स्पीकर बेवजह जल्दबाजी में हैं . सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर फैसले दिए हैं. सिंघवी ने कहा कि इस मामले में हम प्रभावित पक्ष हैं. इस मामले में अरूणाचल प्रदेश मामला लागू नहीं होगा.
शिंदे गुट की ओर से नीरज किशन कौल बहस कर रहे हैं. उन्होंने ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों से निपट चुका है. कोर्ट ने कहा कि हम समझते हैं कि आप खतरे को महसूस कर रहे हैं . हमारे पास सत्यापित करने का कोई साधन नहीं है लेकिन आप दावा कर रहे हैं.अन्य मुद्दा यह है कि आप उचित समय की कमी कहते हैं. समय खत्म हो रहा है .कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का इस तरह से काम करना जायज़ नहीं है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ये बात महत्वपूर्ण है कि ये लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. शिंदे कैंप ने कोई कारण नहीं बताया है कि हाईकोर्ट मामला क्यों नहीं जाना चाहे. सिंघवी ने कहा कि पहले स्पीकर को फैसला करने दिया जाए. मान लीजिए ये गलत फैसला भी हो. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करे. स्पीकर के फैसला लेने के बाद कोर्ट दखल दे. मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ना लेने पर तीन महीने में फैसला देने को कहा था.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ये बात महत्वपूर्ण है कि ये लोग हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. शिंदे कैंप ने कोई कारण नहीं बताया है कि हाईकोर्ट मामला क्यों नहीं जाना चाहे. सिंघवी ने कहा कि पहले स्पीकर को फैसला करने दिया जाए. मान लीजिए ये गलत फैसला भी हो. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करे. स्पीकर के फैसला लेने के बाद कोर्ट दखल दे. मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला ना लेने पर तीन महीने में फैसला देने को कहा था. अदालत इस चरण में दखल नहीं दे सकती. 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट को छोड़कर किसी भी मामले में स्पीकर के समक्ष कार्यवाही लंबित होने पर अदालतों ने हस्तक्षेप नहीं किया है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि जब तक स्पीकर अंततः फैसला नहीं कर लेते, तब तक कोर्ट के सामने कोई कार्रवाई नहीं होगी.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या हम सदन की कार्यवाही से संबंधित सुनवाई कर रहे हैं ? इस पर सिंघवी ने कहा कि स्पीकर का नोटिस देना, समय देना ये सब सदन की कार्यवाही का ही हिस्सा है. इस चरण में न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती. कार्यवाही लंबित होने तक अदालती दखल नहीं हो सकता.