नवगीत

मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़

नवगीत

नवगीत 

भ्रम मे पलता सारा जीवन
गरल सुधा सम जीवन हाला।

थकन मिटाती नेह बिसारे
छटा धुआं बस रही कालिमा 
अंध धुंध भटकाता प्रतिपल 
अरुण नवोदित भरें लालिमा 
भूले भटके  तनिक राह से 
नही हारता कोई पाला।
करते है विद्रोह वही क्यों?
उम्मीदों ने जिनको पाला।


निशा यामिनी कोमल प्रहरी
चेतनता देती है गहरी
नवपल्लव कुसुमित कर कोपल
बीती विभावरी करती बहरी
कदम बढ़ाता चलता जाता
विजयी बाजी जीतने वाला
भ्रम मे पलता सारा जीवन
गरल सुधा सम जीवन हाला।

जग मे मादकता है पूरी 
क्यों कर दिशा हीन हो जाती
नयन भिगो कर ही सुर सजते
आस निराश दिशाए पाती 
क्षणिक करें मदमस्त मधुर मन
गान मनोहर मधु सी  प्याला
भ्रम मे पलता सारा जीवन
गरल सुधा सम जीवन हाला।