जन्मों के मीत तोसे कान्हा
Premdeep
मोहे तुम सताओ न कान्हा
निकट मोरे आ जाओ ना
हे गिरधारी तोहे शपथ मोरी
मोसे अंग लग जाओ ना ।।
पढ़ नहीं पाए तुम नैनो की भाषा
हृदय के तीर तनिक आओ ना
समझोगे नाथ तब तुम मोहे
सांसों से रिश्ता निभाओ ना।।
मीन तड़पत है जल बिन ऐसी
तुम सागर मुझ में समा जाओ ना
है प्राण प्राणेश्वर प्रियतम
जल्दी कोई यतन सुझाओ न ।।
युगो से बैठी हे योगेश्वर
मोहे धारण कर जाओ ना
जन्म जन्म तोसे प्रीत लगी है
इहि जन्म सार्थक कर जाओ ना ।।