जब रमन सरकार ने आदिवासी आरक्षण के लिये ननकीराम कंवर की सिफारिश को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया तब क्यो मौन थे नंदकुमार साय ? आदिवासी आरक्षण में हुई कटौती के लिए पूर्व रमन सरकार के साथ नंदकुमार साय भी जिम्मेदार
भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय के धरना को सियासी नौटंकी करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार विधानसभा के विशेष सत्र के माध्यम से आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण का उनका कानूनी अधिकार देने जा रही है। रमन भाजपा सरकार की आदिवासी विरोधी कृत्यों के महापाप को धो रही है तब ऐसे में नंदकुमार साय जैसे और भी भाजपा के अन्य आदिवासी नेता हैं वह आदिवासी समाज को गुमराह कर श्रेय लेने की होड़ में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने नंदकुमार साय से सवाल पूछे जब रमन सरकार ने आदिवासी 32 प्रतिशत आरक्षण के मामले में आधार बताने वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया तो उस कमेटी गठन की जानकारी न्यायालय से क्यों छिपाई ?और ननकीराम कंवर कमेटी के सिफारिश को न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया तब नंदकुमार साय और भाजपा से जुड़े आदिवासी नेता विरोध क्यों नही किये? क्या उस दौरान नन्दकुमार साय के मन मे कुर्सी छीने जाने का भय था? क्या नन्दकुमार साय को उस दौरान आदिवासी समाज के साथ हो रहे धोखेबाजी का ज्ञात नही था या नन्दकुमार साय को अदिवासी समाज की हित से ज्यादा स्वहित की चिंता सत्ता रही थी?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि रमन सरकार के बदनियति आरक्षण विरोधी नीतियां के चलते न्यायालय में जो आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ फैसला आया है उसके लिए रमन सरकार के साथ भाजपा से जुड़े आदिवासी नेता भी जिम्मेदार हैं नंद कुमार साय और भाजपा से जुड़े आदिवासी नेताओं को रमन सरकार से इस आदिवासी कृत्य के लिए आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार को आदिवासी आरक्षण देने बुलाए जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र के लिए आभार प्रकट करना चाहिए धन्यवाद देना चाहिए।