लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर गरमाई सियासत, रिजिजू ने विपक्ष को चेताया

लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर गरमाई सियासत, रिजिजू ने विपक्ष को चेताया

 जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर सोमवार को लोकसभा में बहस से पहले राजनीतिक टकराव चरम पर पहुंच गया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष से अपील की कि वे चर्चा के दौरान ‘लक्ष्मण रेखा’ पार न करें और पाकिस्तान की भाषा बोलने से बचें। इस पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया।

रिजिजू की दो टूक: “पाकिस्तान के हित में बयान न दें विपक्ष”
रिजिजू ने कहा कि, “मैं विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस से अनुरोध करता हूं कि वे ऐसा कुछ न कहें जो भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाए। भारतीय सेना की गरिमा बनाए रखें। विपक्ष के बयान पाकिस्तान और भारत विरोधी ताकतें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं।” उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की थी, तो लंका जली थी। जब पाकिस्तान ने सीमा लांघी, तो उसके आतंकी ठिकानों पर कहर बरपा।”

कांग्रेस का पलटवार: “रिजिजू को अपनी जुबान संभालनी चाहिए”
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने रिजिजू के बयान को लेकर तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “अब क्या रिजिजू हमें सिखाएंगे कि देशहित में क्या बोलना है? पहले वे अपनी पार्टी के नेताओं को कंट्रोल करें। हमें देशभक्ति का पाठ न पढ़ाएं।”

चिदंबरम के बयान से मचा भूचाल
चर्चा से ठीक पहले कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के एक बयान ने बहस को और गरमा दिया। उन्होंने कहा था कि सरकार को यह बताना चाहिए कि पहलगाम हमले के आतंकी वाकई पाकिस्तान से आए थे या नहीं। उन्होंने घरेलू आतंक की भी आशंका जताई और कहा कि सरकार एनआईए की कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान को छिपा रही है।

भाजपा का तीखा हमला

चिदंबरम के बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि पार्टी एक बार फिर पाकिस्तान के बचाव में खड़ी हो गई है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस का यह रवैया राष्ट्रहित के खिलाफ है और वह आतंकी हमलों को लेकर साफ रुख नहीं दिखा रही।

आज 16 घंटे की बहस, सियासी संग्राम तय
लोकसभा में आज 16 घंटे की बहस के दौरान सरकार और विपक्ष आमने-सामने होंगे। भाजपा जहां भारतीय सेना की कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का बखान करेगी, वहीं कांग्रेस हमले की जांच, ऑपरेशन में हुए नुकसान और राजनीतिक पारदर्शिता पर सवाल उठा सकती है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा संसद में केवल एक सुरक्षा मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह अब राजनीतिक विश्वास और राष्ट्रवाद के विमर्श का बड़ा केंद्र बन चुका है। आज की बहस इस सत्र की सबसे गरम और निर्णायक बहस हो सकती है।