आयोग के निर्देश का अधिकारियों ने किया पालन आवेदिका को मिला न्याय। कोंडागांव सखी सेंटर प्रशासिका को आयोग के निर्देश पर पद से निष्कासित किया गया। 9 वर्षों बाद आवेदिका को आयोग के निर्देश पर पदस्थापना दिया गया।

आयोग के निर्देश का अधिकारियों ने किया पालन आवेदिका को मिला न्याय।  कोंडागांव सखी सेंटर प्रशासिका को आयोग के निर्देश पर पद से निष्कासित किया गया।  9 वर्षों बाद आवेदिका को आयोग के निर्देश पर पदस्थापना दिया गया।

रायपुर/2 फरवरी 2024/ एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक (पति) के द्वारा अन्य महिला से बिना तलाक लिए विवाह करने के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी। आवेदिका ने बताया कि दूसरी महिला केन्द्र प्रशासिका सखी सेंटर जिला- कोण्डागांव में पदस्थ है और वह भली-भांति जानती है की विधिवत् तलाक लिए बिना की गई शादी अवैधानिक होती है। अनावेदिका कार्यवाही करने के बजाय आवेदिका के साथ जानबूझ कर दस्तावेज गायब करते हुए आवेदिका के पति के साथ मंदिर में शादी की है। आवेदिका ने बताया इस बात की गवाह वह स्वयं है। आयोग ने सभी बातो को सुनने के पश्चात् यह पाया कि आवेदिका की शिकायत सही है। इस स्तर पर दूसरा विवाह अवैध है एवं शून्य है, अनावेदिका जानबूझ दूसरा विवाह की है। चूंकि महिलाओं को सहयोग प्रदान करने के पद पर बैठने वाली महिला ही ऐसे कृत्य करेगी तो महिलाओं को सहयोग किस प्रकार प्राप्त होगा। आयोग की अध्यक्ष ने महिला बाल विकास विभाग के सचिव को सम्पूर्ण दस्तावेज की जानकारी देते हुए यह निर्देश दिया था कि अनावेदिका जो सखी सेंटर की केन्द्र प्रशासिका है जिसके मामले की विभागीय जांच करे व प्रकिया पूर्ण हो जाने पर अनावेदिका को केन्द्र प्रशासिका के पद से निष्काशित किया जाये। तत्पश्चात् सम्पूर्ण कार्यवाही की जांच का प्रतिवेदन सहित आयोग को सूचित किया जाये।

इस प्रकरण का जांच करने के पश्चात् यह जानकारी आयोग को प्राप्त हुई की अनावेदिका केन्द्र

प्रशासिका सखी सेंटर पर लगे आरोप सही है। उपरोक्त आरोपो से स्पष्ट है कि आवेदिका अपने कार्य में रहते हुए एक प्रताड़ित महिला को सहारा प्रदान करने के बजाय प्रताड़ना में सहयोग कर रही थी। इस निर्देश के साथ अनावेदिका को केन्द्र प्रशासक कोण्डागांव कॉन्ट्रैक्ट अनुबंध बेस की भर्ती से निष्कासित किया गया। जिसके पश्चात् आयोग ने प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका से व्याख्याता के पद पर कार्य लिया जा रहा था। बाद में व्याख्याता पदो पर नियुक्ति आ जाने पर सेटअप से अतिरिक्त व्यक्ति का वेतन निकाला जाना संभव नही था। इसलिए शाला में आवेदिका को पढ़ाने नहीं दिया गया और वेतन भी रोक दिया गया। आवेदिका विगत 9 वर्षों से अस्थाई रूप व्याख्याता के पद पर कार्यरत् थी। अनावेदक ने आयोग में प्रस्ताव दिया कि जिस स्थान पर पर रिक्त है वहां पर आवेदिका को अटैच कर सकते है। इस प्रस्ताव पर आवेदिका सहमत है। आयोग में दिये गये प्रस्ताव के आधार पर आवेदिका को रिक्त पद पर अटैच करने के उपरांत इस बात की सूचना आयोग को दी जायेगी। सूचना दिये जाने पर प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।

कार्यालय संयुक्त संचालक बस्तर द्वारा सूचना प्राप्त हुआ कि आवेदिका को प्रधान अध्यापक, पूर्व माध्यमिक शाला के पद पर दायित्व निर्वहन करने हेतु आदेशित किया गया व आवेदिका के वेतन की व्यवस्था वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था अनुसार विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय केशकाल में निरंतर रहेगा। आयोग को इस आदेश की सूचना मिलने के पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।