जब सुजाता के परिवार को बचाने साक्षात भगवान बनकर आये गजराज...

जब सुजाता के परिवार को बचाने साक्षात भगवान बनकर आये गजराज...

 जाको राखे साइयाँ, मारि न सक्कै कोय। बाल न बाँका करि सकै, जो जग बैरी होय। संत कबीर दास की ये पंक्तियां सुजाता अनिनांचिरा और उनके परिवार के लिए चरितार्थ हुईं जब उनका पीछा मौत कर रही थी।

केरल के वायनाड क्षेत्र में आए भीषण भूस्खलन के कारण कई परिवार काल का ग्रास बन गए, कई अब भी लापता हैं। इस विपत्ति में एक परिवार की कहानी ने सभी का दिल छू लिया, जब वे जान बचाकर जंगल में भागे और हाथियों ने उन्हें घेर लिया। इसके बाद जो चमत्कार हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया।

चमत्कारी बचाव:
मंगलवार की सुबह भूस्खलन की चपेट में आने के बाद सुजाता अनिनांचिरा और उनके परिवार का बचना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा है। वे भूस्खलन से अपनी जान बचाने के लिए भागकर जंगल में पहुंचे। भारी बारिश और दलदल के बीच घने जंगल में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं। अचानक, तीन हाथियों (एक नर और दो मादा) ने उन्हें घेर लिया। विशालकाय हाथी चिंघाड़ रहे थे, जिससे सुजाता के परिवार को समझ नहीं आ रहा था कि अब कहां जाएं। जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ चुके परिवार ने हाथ जोड़कर भगवान को याद किया और वहीं बैठ गए, हाथियों से आश्रय मांगा।

रात भर हाथियों ने की रक्षा:
आश्चर्यजनक रूप से, हाथियों ने उनसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि पूरी रात सुजाता और उनके परिवार की रक्षा की। सुबह जब वे बाहर आए तो हाथियों की आंखों से आंसू छलक आए। सुजाता ने कहा कि वह इसे चमत्कार मानती हैं कि वह, उनके पति, बेटी और दो पोते भूस्खलन से बच गए।

भूस्खलन की रात:
सुजाता ने बताया, "सोमवार रात को भारी बारिश हो रही थी, मैंने रात करीब 1.30 बजे बहुत तेज आवाज सुनी और फिर पानी का तेज बहाव हमारे घर में घुस आया। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, भूस्खलन के कारण गिरे हुए लट्ठे घर की दीवारों से टकराने लगे। हम बहुत डरे हुए थे, पास के नष्ट हुए घरों का मलबा भी हमारे घर में घुस रहा था। हम अपनी जान बचाने के लिए जंगल में भागे, जहां हाथियों ने हमारी रक्षा की और हमारी जान बचाई।"

मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस घटना को एक अद्वितीय चमत्कार बताया और कहा कि संकट की घड़ी में प्राकृतिक शक्तियों का ऐसा समर्थन आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक है। उन्होंने वन विभाग और अन्य राहत कर्मियों को भी सराहा जिन्होंने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में तेजी से राहत कार्य किया।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, हमें अप्रत्याशित रूप से सहायता मिल सकती है। सुजाता और उनके परिवार की कहानी ने यह साबित कर दिया कि प्रकृति में भी रहस्यमयी और चमत्कारी ताकतें होती हैं जो हमें सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।