आज की नारी
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
क्या मेरा अपराध यही है कि मैं एक नारी हूं ? वो भी आज की नारी जो अपना सही गलत सब जानती है । तुम पुरुष हो तो क्या तुम्हें समाज में सिर उठा के चलने का लाइसेंस मिल गया और कुछ गलत करने का भी ? भले ही हमारा समाज नारी और पुरुष बराबर हैं का कितना भी नारा लगा ले, लेकिन हमारे समाज की कड़वी सच्चाई तो यही है कि आज भी एक नारी को पुरुष के फैसले के आगे झुकना ही पड़ेगा ।
पर अब ऐसा नहीं होगा । एक नारी के लिए जब अपने सम्मान और स्वाभिमान के रक्षा करने की बात आती है तब वो काली का भी रूप धारण कर सकती है । तुम पुरुष होकर भी एक नारी के स्वाभिमान की रक्षा नहीं कर पाए तो तुम्हें धिक्कार है तुम्हारे पुरुष होने पर ।
आज की नारी को अपने सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करना अच्छे से आता है । वो जानती है अपने अधिकारों के बारे में और अकेली तुम्हारे इस समाज से लड़कर भी जीत सकती है । जब एक पुरुष कोई निर्णय लेता है तो वो चाहता है कि उसके निर्णय में नारी साथ दे और देती भी है । पर वही नारी जब अपने परिवार और समाज के लिए कोई निर्णय लेती है तब वो भी चाहती है कि पुरूष उसका साथ दे ।
तुम कितना भी नारी को अपने गलत निर्णय के आगे झुकाने की कोशिश कर लो । वो नहीं झुकने वाली अब । अब वो लड़ेगी तुम्हारे खोखले आदर्शों के विरुद्ध और जीत भी उसी की होगी । अपने निर्णय पर अटल रहेगी और किसी भी भावनात्मक रूप से कमज़ोर नहीं पड़ेगी ।
पर नहीं तुम तो पुरुष हो ना तुम एक नारी के निर्णय के आगे कैसे झुक सकते हो । तुम्हारे आत्मसम्मान को ठेस जो लग जाएगी । और समाज तुम्हें एक नारी का गुलाम कहेगा तो तुम सह नहीं पाओगे है ना ...? तुम भले ही झूठ का साथ दो और झूठ का सहारा लो एक नारी से जीतने के लिए पर अंत में जीत एक नारी की सच्चाई की ही होगी है ।
हां हूं मैं आज की नारी जो सच्चाई का साथ देती है और वो सही राह पर चलकर जीत भी जाएगी और तुम झूठ के गलत रास्ते पर चलकर देखना एक दिन हार जाओगे आज की नारी से । अंत में जीत सिर्फ सच्चाई की ही होगी ।