गीत प्रेम नही परिहास
डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़
गीत
प्रेम नही परिहास
भुजबंधो का नेह निमंत्रण
क्षणिक मात्र उल्लास।
देह-गेह से विरत साधना
प्रेम नहीं परिहास।।
प्रीत से वेदन संवेदना
जीवन महती भाव,
निर्मल-सुंदर रूप छंद-युत
सुख-दुख है स्वाभाव,
जगती तल की अनुपम रचना
जीव चराचर दास,
क्षण-क्षण प्रतिपल रुप है बदले,
नित नव जागे आस।
करतल नर्तन मुखरित स्वर-स्वर
अभिनय शब्द वितान,
सार समाया सकल सृष्टि हित
मुखरित चिंतन गान,
झरे गीत तानो की सरगम
संवादों सह खास,
अवनी से अंबर तक साखी,
सुधा-गरल आभास।
करुणा-ममता वात्सल्य-मय
दया-सहिष्णु-विचार,
परपीड़ा सम द्रवित ह्रदय में
बहती अपरम्पार,
ठाँव ढूंढती मृगमरीचिका
ह्रदय सहजतम वास,
चंचलता नैनो में बसती
भाव-पुण्य मधुमास।
डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़