"अभिमान मनुष्य को गिराता है, स्वाभिमान मनुष्य को शंकर बनाता है"
छत्तीसगढ़ गौर खेड़ा स्थित सदगुरु धाम आश्रम में सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महापर्व धूमधाम से मनाया गया आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में क्यों मनाया जाता है इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्वामी श्री ने कहा की गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस पर पृथ्वी के समस्त गुरु भक्त अपने गुरु का दर्शन करने के लिए गुरुधाम जाते हैं जिस प्रकार आषाढ़ मास की पूर्णिमा का चंद्रमा विभिन्न रंग के बादलों से घिरे होते हुए भी आकाश मंडल को प्रकाशित करता है उसी प्रकार समर्थ सदगुरु अपने शिष्यों के अच्छे और बुरे कर्म रूपी बादलों से घिरे रहकर अपना प्रकाश रूपी आशीर्वाद सब पर बरसाता है आगे स्वामी जी ने बताया कि जिस व्यक्ति का आध्यात्मिक एवं सांसारिक जीवन सफल नहीं हो रहा यदि वह प्रत्येक पूर्णिमा व अमावस्या पर अपने गुरु का दर्शन करें तो उसके जीवन का कायाकल्प हो जाता है भाग्य परिवर्तित हो जाता है स्वामी श्री ने अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण की कथा के माध्यम से समझाया कि जिस प्रकार अर्जुन के विषम परिस्थिति में होते हुए भी भगवान श्री कृष्ण नव गुंजन रूप में प्रकट हुए हैं उसी प्रकार विषम परिस्थिति में भक्तों की करुण पुकार सुनकर समर्थ सद्गुरु उसके कल्याण हेतु प्रकट हो जाते हैं स्वामी श्री ने दक्ष प्रजापति की कथा के माध्यम से बताया कि जिस प्रकार दक्ष प्रजापति ने अपने अहंकार के चलते सद्गुरु रूपी भगवान शंकर का तिरस्कार किया और पतन को प्राप्त हुए उसी प्रकार शिष्य के जीवन में उसका अहंकार पतन का कारण बन जाता है वही स्वाभिमान उसे शंकर की स्थिरता उपलब्ध कराता है इसीलिए समय की सद्गुरु स्वामी श्री ने उद्घोष किया कि "अभिमान अपने अंदर आने मत दो और स्वाभिमान अपने अंदर से जाने मत दो' गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सतगुरु धाम आश्रम में ब्रह्म दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लगभग दो सौ लोग लाभान्वित हुए मंचीय कार्यक्रम में श्री राम कथा प्रसंग एवं श्री भागवत कथा प्रसंग तथा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की गई गुरु पादुका पूजन ,महाप्रसाद वितरण, एवं भंडारे के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ