प्रकृति भी ऋतु बदले हर तीन मास में
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़

प्रकृति भी ऋतु बदले हर तीन मास में
हर ऋतु रंग बदले मौसम मन आभास में
शीत ऋतु में शीतल समीर मन हर्षाये
गुलाबी गुनगुनी धूप तन को बहुत भाये
आये ऋतु बरखा की ऋतुराज कहलाये
पवन चले तेज वेग से पावस मन हर्षाये
नभ में चपला तड़ित चमाचम चमके
अमोल जलधर गर्जना दिल दहलाये
प्रखर हुआ सूरज भी गरमी नहीं सुहाये
निश्वास जनमानस, तन भी झुलसा जाये
प्रकृति भी सदा मनोरम छवि दिखाये
विभिन्न रूप से सर-सर चक्र चलाये