पहिली बारिश के बधाई के साथ
जितेन्द्र कुमार वर्मा "वैद्य"
छांट निमार के बिजा बोबो,
धनहा डोली खार म।
मेंड़ पार राहेर तिली,
भांठा भर्री कछार म।
आगे बांवत के बेरा भैय्या,
खेत डाहर सब जावत हे।
जेठ निकलती अषाढ़ के लगती,
इन्द्र देव बरसावत हे।
बल्हा पिंवरा फांदें नंगरिहा,
तता तता ल गावत हे।
मुड़ म बासी बोहे पेजहारिन,
कुदारी धरे आवत हे।
गोंदली बासी आमा अथान,
गजबेज सुहावत हे।
रतिहा के बासी रतिहा के कढी़,
अमसुरहा सोंसी ल बुतावत हे।
खांद म नागर हाथ तुतारी,
जोड़ी बैला संग रेंगान हे,
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया,
इहिच हमर पहिचान हे।