.नारी की जीवन संरचना

वीनामेहता दिल्ली

.नारी की जीवन संरचना

धरा सा विशाल  ह्रदय  देकर मुझे भेजा सृष्टि  पर ..
हे परमेश्वर तूने तभी लिया रूप  अर्धनारीश्वर 

तेरी परछायी बन मैं  सरिता सी बह देखती रही हर तूफान 
कितने लोगों  का कलंक धो सार्थक  हुई  मेरी पहचान 
 
नारी बनकर  हर सुख दुःख की पराकाष्ठा  सहती रही 
अपने  चेहरे  पर मुस्कान  की प्रतिष्ठा  करती रही 

कितनी परीक्षाओ को करती रही सहन
कितनी पीड़ाओ को करती रही वहन

पर जब अपने दुर्गा रूप की शक्ति  को किया ग्रहण 
तब मेरे स्त्री  रूप  को मिला  यथेष्ट सम्मान