ये मौसम की बारिश
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
जब बारिश की फुहारें
तपती धरती पर गिरती है
तब प्यासी धरा भाव विभोर हो
उसे स्वयं में समा लेती है
मेरा प्यासा मन कब से प्रेमारिक्त है
उसे कब प्रेम की फुहारें भिंगाएंगी
प्रेम से रिक्त अतृप्त मन
ना जाने कौन सा बादल बरसेगा
कुछ कहती हैं ये बारिश की फुहारें
बहुत हसीन और रंगीन हैं ये नज़ारे
मंद मंद पवन पुरवईया मारे हिलोरें
बूंद-बूंद टपके आसमां से घटायें
मन करे घुल मिल जाएं बूंदों में कहीं
जीवन का सच्चा आनंद यहीं है बस यही