जिला बैडमिंटन संघ की तरफ से 'जिला सब जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप स्पर्धा-2022' का आयोजन पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पुरस्कार वितरित कर खिलाड़ियों का किया सम्मान
स्मार्ट बनने के लिए बच्चों का एक्स्ट्रा एक्टिविटी में भाग लेना बेहद जरूरी खेलकूद, अपनी प्रतिभा को साबित करने का बेहतरीन मंच है: पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल
राजधानी रायपुर में जिला बैडमिंटन संघ की तरफ से 'जिला सब जूनियर बैडमिंटन स्पर्धा 2022' का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल जी शामिल हुए। खास बात ये है कि साल 2008 में कैबिनेट मंत्री रहते हुए खुद बृजमोहन अग्रवाल जी ने बैडमिंटन कोर्ट का निर्माण करवाया था, हाल ही में रिनोवेशन की प्रक्रिया के लिए भी उन्होंने 7 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की। दो दिवसीय बैडमिंटन प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में पूर्व मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट बनने के बाद से ही लगातार खेल की सुविधाएं अपग्रेड होती रहीं। जिसका परिणाम आज हमें मिल रहा है, बच्चें देश और दुनिया में छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रहे हैं।
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जी ने कहा कि आज के समय में बच्चों को खेल के मैदान में उतारना सबसे जरूरी है, पढ़ाई के अलावा एक्स्ट्रा एक्टिविटी में बच्चे जब तक भाग नहीं लेंगे तब तक वह स्मार्ट नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि मोबाइल टीवी कंप्यूटर में आजकल की जनरेशन बेहद व्यस्त हो गई है, पढ़ाई का इतना आजकल दबाव है कि बच्चे खेल एक्टिविटी से दूर होते जा रहे हैं। सारी चुनौतियों के बीच अगर बच्चों को मेंटली अपडेट करना है तो खेल से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि पहले हमारे घरों के सामने काफी जगह हुआ करती थी, जहां बचपन बीतता था, बच्चे खेल खेला करते थे, मगर अब वो दौर बहुत पीछे छूट चुका है।
उन्होंने कहा कि अब वह समय नहीं है की खाली पढ़ने लिखने वाले ही आगे बढ़ते हैं, आजकल खेलकूद अपनी प्रतिभा को साबित करने का बेहतरीन मंच है। खेल में भी बच्चे आगे बढ़ सकते हैं, देश का नाम रोशन कर सकते हैं। हंड्रेड परसेंट नंबर लाने वाला भी कॉन्पिटिटिव एग्जाम में अगर परफॉर्म नहीं कर पाएगा तो पीछे रह जाएगा। उन्होंने कहा कि चाहे संगीत हो, सिंगिंग हो, खेलकूद हो, बच्चों की जिसमें रुचि हो उस क्षेत्र में परफॉर्म कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जी ने कार्यक्रम में मौजूद बच्चों के अभिभावकों से कहा कि हार जीत का नाम ही खेल है, हारने वाले बच्चों को कभी डांटना नहीं चाहिए, उसका मनोबल घटाने की वजह बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।