नारीत्व एक वरदान
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
नारीत्व एक वरदान है
जो केवल नारी को प्राप्त है
ममता दया करुणा
सहनशीलता क्षमा आदि गुण
केवल नारी में मिलते हैं
और केवल से ही इन सबकी
अपेक्षा की जाती रही है
क्या कभी किसी ने पुरुष से
सहनशीलता और क्षमा की अपेक्षा की है
वो गुण केवल स्त्री को अपनी माता
के गर्भ से मिल जाता है
नारी अपनों के लिए उतना ही झुकती है
जितना उसका आत्मसम्मान का संयम होता है
उसके बाद वह झुकती नहीं है
अपने आत्मसम्मान के लिए अडिग हो जाती है
नारी मुखर है तो सबसे बड़ा मौन भी है
नारीत्व को संक्षेप में वर्णन करना कठिन है
नारीत्व तो अथाह सागर है भावनाओं का