अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच छत्तीसगढ़ इकाई पावस गोष्ठी संपन्न
रविवार को वृंदावन हॉल में विश्व मैत्री मंच छत्तीसगढ़ इकाई की पावस गोष्ठी का आयोजन हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ चितरंजन कर भाषाविद् साहित्यकार, अध्यक्षता डॉ माणिक विश्वकर्मा नवरंग गीतकार साहित्यकार विशेष अतिथि श्रीमती शशि दुबे कवयित्री थी। पावस गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्जवलन,सरस्वती वंदना से हुआ सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया श्रीमती लातिका भावे ने। तत्पश्चात मंच अध्यक्ष डॉ मीता अग्रवाल मधुर नेअध्यक्षीय स्वागत उद्बोधन में संस्था के उद्देश्य एवं मंच के कार्यों उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ चितरंजन कर ने अपने वक्तव्य में कविता भावों की मातृभाषा है, अभिव्यक्ति की चेतना है, बोलना ही जीवन है, मनुष्यता को बचाय रखने के लिए संवेदना जरूरी है, कविता संबल देती है, और
कविता-- रचते-रचते जीवन के सुंदर अध्याय लिखू मै सुना कर सदन में भावप्रवणता जगा दिया।
डॉ माणिक विश्वकर्मा नवरंग ने नुक्ता के नाम पर नुक्ता चीनी, कविता की यात्रा,स्वरुप, कविता की मधुरता, तहत् या राग से नहीं पर वक्तव्य देते हुए कविता-आँगन तक वो आ गई अगड़ाई के साथ, हरदिल में बिजली गिरी खूब हुई बरसात ,सुना कर रससिक्त किया।
श्री सुरेन्द्र रावल जी ने व्यंग्य अंग्रेजो की जूठन सुनाकर वाहवाही बटोरी।
गजानन गणपति गणनायक, कार्य सिद्धी होवे हम सबका सकल जनों के तुम दुखहर्ता
शरण आपके हम भक्तजन आत्मीय स्तुति श्रीमती वृंदा पंच भाई प्रस्तुत किया।
नील गगन पर फिरे मेंघदल मंद मंद मुस्काते ,ऊंचाई से मुझे बुलाते अनुपम रूप लुभाते, उज्जवल घटा रूप धरती पर आंचल ज्यों लहराए घेर निशा ले अंतिम प्रहरी, सुर- लय-ताल मिलाते। गीत सुना कर मीता अग्रवाल मधुर ने तालियाँ बटोरी।
गीत गाय की पीर
मूक खड़ी गैया की अँखियाँ,
पूछ रहीं यह बात |
बिन गलती के हम पर भइया,
क्यों करते हो घात,सरोजदुबेने पढी ।
दादुर मोर,पपीहा हर्षित, हुआ मनोरथ पूरा
कितनी है हरियाली छाई कि अम्बर लगे है धानी रत्ना पांडेय ने पंक्तिया पढ़ी।
ईरा पंत के सुमधुर गायन से गोष्ठी समाप्त हूई। इस अवसर पर
विश्व मैत्री मंच की निदेशक डॉ मंजुला श्रीवास्तव मीडिया प्रभारी दीपाली ठाकुर ,डॉ कमल वर्मा, श्रीमती माधुरी कर ,आश मानव श्रीमती मीनू राजेश,मंजू सरावगी अपराजिता शर्मा सरोज दुबे सीमा निगम, ज्योति परमाले, तृषा गर्ग, विजिया ठाकुर, पूर्णिमा वर्मा,स साधना दुबे,नगर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेन्द्र रावल,राजेश जैन राही,दिलीप वरवड़कर, हरीश कोटर,सुदेश मेहर,वीर अजीत कुमार शर्मा,योगेश योगी जी,अनिल श्रीवास्तव,एन पी.विश्वकर्मा जी विशेष उपस्थित थे। कुशल संचालन किया रत्ना जी ने,आभार व्यक्त किया मंच की सचिव श्रीमती वृंदा पंचभाई ने