न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है और जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली की नींव - जस्टिस गवई
बिलासपुर। हाईकोर्ट में राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।हाईकोर्ट में यह पहली बार हुआ कि किसी आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के तीन जज एक साथ पहुंचे।इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीश, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की उपस्थिति रही। सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका, विशेषकर जिला न्यायपालिका, की वर्तमान चुनौतियों और उनकी भूमिका पर विचार-विमर्श करना था। सम्मेलन का उद्घाटन जस्टिस बी.आर. गवई ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। अपने उद्घाटन भाषण में जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है और जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली की नींव है। उन्होंने जिला न्यायपालिका के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी न्यायाधीश एक न्यायिक परिवार का हिस्सा हैं और कोई भी अधीनस्थ नहीं है।जस्टिस गवई ने न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को धीरे-धीरे वर्चुअल कोर्ट की ओर बढ़ना चाहिए, जिसके लिए तकनीकी ज्ञान और संसाधनों का होना अनिवार्य है। उन्होंने एक आदर्श न्यायाधीश के गुणों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें शिष्टता, बुद्धिमत्ता, सौम्यता और निष्पक्षता शामिल हैं।सम्मेलन के तकनीकी सत्र में जस्टिस संजय के. अग्रवाल, जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू, जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस दीपक तिवारी ने जिला न्यायपालिका की चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए उपायों और प्रावधानों की विस्तार से चर्चा की।जस्टिस विक्रम नाथ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि एक न्यायाधीश का आचरण कोर्ट के अंदर बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान में कुशल होने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश का कार्य दैवीय कृत्य है जिसे बहुत सतर्कता और सावधानी से निष्पादित किया जाना चाहिए।