रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव से दूरी पड़ी बांग्लादेश पर भारी, 'तटस्थ' रहने की चुकानी पड़ रही बड़ी कीमत
रूस और यूक्रेन के बीच जारी महायुद्ध में पूर्व विश्व 2 गुटों में बंट गया है, वहीं बांग्लादेश को रूस के खिलाफ वोट ना करने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है
Russia Ukraine War । रूस और यूक्रेन के बीच जारी महायुद्ध में पूर्व विश्व 2 गुटों में बंट गया है, वहीं बांग्लादेश को रूस के खिलाफ वोट ना करने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। दरअसल, सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखा गया था जिससे भारत समेत कुछ देशों ने दुरी बनाई थी।
इसी कड़ी में बांग्लादेश द्वारा संयुक्त राष्ट्र में रूस का विरोध ना करने के कारण देश को भेजी जाने वाली कोरोना वैक्सीन की बड़ी खेप को रोक दिया गया है। दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी आबादी वाले देश भी कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आने से बचा नहीं था। ऐसे में लिथुआनिया (यूरोपीय देश) ने बांग्लादेश को भेजी जाने वाली कोविड वैक्सीन की डिलीवरी कैंसिल कर दी है।
लिथुआनिया ने बांग्लादेश को वैक्सीन देने से किया इंकार
लिथुआनिया नेशनल रेडियो एंड टेलिविजन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश को भेजी जाने वाली 40 हजार कोरोना वैक्सीन की खुराक पर रोक लगा दी है। बांग्लादेश द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोट नहीं देने के बाद लिथुआनिया ने अपने एक हफ्ते पहले के फैसले को बदलते हुए वैक्सीन की खुराक भेजने से इंकार कर दिया। बता दें कि लिथुआनिया एक ऐसा देश जो द्वितीय विश्व युद्ध में खुद को 'तटस्थ' बता रहा था, उसने अब बांग्लादेश को टीके भेजने से मना कर दिया है क्योंकि उसने यूरोप में हो रहे युद्ध में तटस्थ रहने का फैसला किया है।
निंदा प्रस्ताव से दूरी बनाने पर बांग्लादेश ने कही ये बात
रूस-यूक्रेन संकट पर बहस के दौरान बांग्लादेश के संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने गैर-पक्षपातपूर्ण रुख अपनाते हुए कड़े शब्द जारी किए थे। बयान में कहा गया था कि "बांग्लादेश का मानना है कि बल प्रयोग पर प्रतिबंध, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निर्धारित दायित्वों का बिना किसी अपवाद के सभी परिस्थितियों में पालन किया जाना चाहिए। बांग्लादेश ने भी यूक्रेन की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि दोनों पक्षों को तुरंत बातचीत और कूटनीति को फिर से शुरू करना चाहिए।