छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट, शुरू हुई रायपुर और दिल्ली की रेस
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जिला अध्यक्ष जल्द बदले जा सकते हैं. कई पुराने जिलाअध्यक्षों को हटा कर नए अध्यक्षों को बिठाया जा सकता है. कांग्रेस नेता इसकी तैयारी में जुट गए हैं और आलाकमान के चक्कर लगा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस चुनावी तैयारियों में पूरी तरह से जुट गई हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्ष बदलने की कवायद शुरू हो चुकी हैं. इसकी भनक लगते ही कांग्रेस नेता रायपुर और दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस जिला अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. हालांकि जिला अध्यक्ष को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देने से पार्टी ने साफ इंकार कर दिया था. इस बार भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी जिला अध्यक्ष को टिकट नहीं देगी. बल्कि उनकी अनुशंसा पर ही जिले में टिकट बांटे जाएंगे.
छत्तीसगढ़ में संगठन चुनाव के बाद वर्तमान कांग्रेस जिला अध्यक्ष में से आधे से ज्यादा जिला अध्यक्ष बदल जाएंगे. इन बातों में कितनी सच्चाई है. यह तो चुनाव होने के बाद ही पता चलेगा. लेकिन इस सुगबुगाहट के बाद जहां एक और वर्तमान जिलाध्यक्ष अपनी कुर्सी बचाने में जुट गए हैं तो वहीं दूसरी ओर उस कुर्सी पर काबिज होने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं ने दौड़ शुरू कर दी है. यह दौड़ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक जारी है.
आखिर कांग्रेस में किस तरह से होगा जिला अध्यक्ष का चुनाव और इस चुनाव का आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा असर. इसे लेकर जब हमने कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला से बात की तो उन्होंने बताया कि "चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिले से लेकर प्रदेश तक के चुनाव के लिए चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है. ब्लॉक स्तर पर निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की जानी है. निचले स्तर से यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ब्लॉक, जिला और प्रदेश पदाधिकारियों का चुनाव किया जाएगा. चरणबद्ध तरीके से निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न होगी. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के द्वारा इसके लिए एक समय सीमा निर्धारित की गई है. जिसके तहत अगस्त तक प्रदेश स्तरीय चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी".
आगामी विधानसभा चुनाव में जिला अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "ब्लॉक अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जिले का प्रमुख जिला अध्यक्ष होता है और उसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. सबको साथ लेकर चलें और पार्टी के लिए काम करें यही वजह है कि उसकी भूमिका बढ़ जाती है"
पार्टी में जिला अध्यक्ष बनने के दावेदारों की बढ़ती संख्या को लेकर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "राजनीति के अंदर काम करने वाले हर व्यक्ति में महत्वाकांक्षा होनी ही चहिए. महत्वाकांक्षा होगी तभी वे अपनी व्यवस्था का प्रदर्शन करेगा, दौड़ में रहेगा और बेहतर परफारमेंस देगा. बहुत सारे लोग चाहते हैं कि हम जिला अध्यक्ष बने. पार्टी की निर्वाचन प्रक्रिया है. इसमें जो खरा उतरेगा वह जिलाध्यक्ष बनेगा".
पिछली बार जिला अध्यक्षों को विधानसभा में टिकट नहीं दी गई थी. इस बार क्या जिलाध्यक्ष को टिकट मिलेगी या नहीं इस सवाल के जवाब में सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "अभी चुनावी प्रक्रिया चल रही है चुनाव संपन्न होंगे, चिंतन शिविर का भी आयोजन किया गया है. इस शिविर में पार्टी के द्वारा कई बड़े निर्णय लिए जाएंगे. उस निर्णय के तहत आगे के कार्यों का निर्धारण किया जाएगा. ऐसे में अभी से यह कहना कि जिलाध्यक्ष को टिकट मिलेगी या नहीं जल्दबाजी होगी".
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो संगठन का यही प्रयास होगा कि आपसी सहमति से जिला अध्यक्ष का चुनाव हो. आगे वहां की परिस्थिति के अनुसार संगठन निर्णय लेगा. लेकिन यह जरूर है कि इस बीच आपसी सहमति बनाने संगठन को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनंदगांव और बिलासपुर जैसे कई अन्य बड़े जिलों में गुटबाजी हावी रहने की संभावना है. इन जिलों में जिलाध्यक्ष के लिए बड़े नेताओं का सीधे हस्तक्षेप होता है. इससे यह चुनाव और भी रोचक हो सकता है. खासकर उन जिलों में दिक्कत आएगी जहां सीधे-सीधे दो से तीन बड़े नेताओं का प्रभाव है. साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी आलाकमान अपनी पसंद के जिला अध्यक्षों को बैठाना चाहेंगे. इन्हीं जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन आगामी विधानसभा, लोकसभा और नगरीय निकाय चुनाव लड़ेगा.