घूँघट के पट खोल ओ गोरी होगा
मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
घूंघट नहीं रही अब अनमोल ओ गोरी
देश दुनिया बदल गई है
तु अभी भी है चंदा की चकोरी
नया युग है आया आदर सम्मान करो
मीठे बोल अब बोल ओ छोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
छोड़ रिवाज घूंघट का समाज के डर से
घर से बाहर निकल ओ गोरी
अपने पैरों में खड़े हो जा ओ छोरी
स्वाभिमानी बन जा ओ गोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
लज्जा नारी का धर्म कहलाये
घूंघट से लज्जा हो नहीं जरूरी
अपनेपन के व्यवहार से जीत ले
सारे समाज का सम्मान ओ गोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
बड़ों का आदर कर ले बोली बचन से
लाज शरम आंखों में रख ले अब
चली आई ये पुरानी रीत सदा
सब बेड़ियां तोड़ कब ओ गोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
घूंघट रखने से तन पर अत्याचार नहीं होता
कौन कहता है कि साड़ी में बलात्कार नहीं होता
अपनी सुरक्षा आप कर सबला बन जा ओ छोरी
निर्बल नहीं है तु दुष्टों का सामना कर ओ गोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
घूंघट के पट खोल अब ओ गोरी
घूंघट नहीं रही अब अनमोल ओ गोरी