सदविप्र समाज सेवा एवं सदगुरु कबीर सेना के संस्थापक समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज का परिचय
प्रदीप पुष्प लता नायक
आपका जन्म 8 दिसंबर 1949 को बिहार राज्य के बक्सर में रात्रि 10:00 बजे नाना के घर हुआ आपके अल्पवय में ही माता श्री स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गई। आपके पिताश्री जब 5 वर्ष के थे, तब आपके दादा जी ने संन्यास ले लिया था। दादी ने भी चारों धाम की पैदल यात्रा कर सन्यास ग्रहण कर लिया था।
आपके दादा जी स्वामी आत्मा दास जी एक बुद्ध पुरुष थे। जिनका हठयोग, सहज योग, राजयोग एवं भक्ति योग पर समान अधिकार था आपके पिताश्री बिहार सरकार में अधिकारी थे। ऐसा प्रतीत होता है स्वामी श्री पूर्व जन्म से ही सिद्ध है। तभी तो ऐसे वंश में जन्म लिया। सिद्धता ,साधुता, सन्यास आपको उत्तराधिकार में मिला है।
आपने अपने दादा गुरु से 5 वर्ष के अल्पवय में ही दीक्षा ग्रहण कर ली थी। पढ़ाई लिखाई में प्रतिभा के धनी थे। आप अपनी कक्षा में सदैव प्रथम आते थे। विज्ञान, साहित्य, कानून में उच्च शिक्षा ग्रहण की। आप एम एस सी (भौतिक शास्त्र) में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। परंतु कभी भी नौकरी करने में आपको रुचि नहीं रही। तभी तो सत्य की खोज में आसाम कामाख्या में ब्रह्मपुत्र के तट पर रहकर तंत्र विद्या को सिद्ध किया। फिर हिमालय के गोमुख, नंदनवन, तपोवन में रहकर हठयोग एवं सहज योग को सिद्ध किया। पुनः केदारनाथ, बद्रीनाथ, अलकापुरी इत्यादि में रहकर राजयोग की साधना सिद्धकी।
आप इस पृथ्वी के विभिन्न संत महात्माओं जैसे आनंद मार्ग के आनंदमूर्ति जी, रजनीश जी, साईं बाबा, आ़.म.राम विलास साहब के सानिध्य में योग साधना सीखी।
अंत में आप वही पहुंचे जहां से यात्रा प्रारंभ की थी। सद्गुरु एवं शिष्य का संबंध जन्म जन्म से होता है। वही सद्गुरु आप को मोक्ष प्रदान करता है।आपने स्वामी आत्मा दास जी की छत्रछाया में बैठकर गंगा तट पर 28 वर्ष की आयु में ज्येष्ठ पूर्णिमा को बुद्धत्व को प्राप्त किया। आपने अपने सद्गुरु की छत्रछाया में बैठकर विभिन्न लोकों की यात्राएं की, जो अति रोमांचकारी है व विश्वसनीय है श्रद्धालुओं के लिए। अविश्वसनीय है कोरे तार्किको के लिए, आप बिना किसी झिझक के सत्य आंखों देखा कहने के आदी हैं।
आप सद विप्र समाज एवं सदगुरु कबीर सेना की रचना कर विश्व जनमानस को कल्याण मुलक संदेश दे रहे हैं। आपकी प्रत्येक पुस्तक लिंक से हटकर है।
आपने दिव्य गुप्त विज्ञान का अन्वेषण किया है ,जिससे साधक शीघ्र ही साधना की ऊंचाई पर पहुंच सकता। संसार की कठिनाई का सरलता से समाधान कर सकता है।
आपने बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बद्रीनाथ, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर आश्रम स्थापित किए हैं। आपके सद विप्र, साधक, आचार्य गण देश विदेश में सर्वत्र फैल गए हैं, जो आपके संदेशों को प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं। सद्गविप्र समाज सेवा एक अध्यात्मिक संस्थान है, जो आप के निर्देशन में जीवन के सच्चे मर्म को उजागर कर शाश्वत शांति की ओर समाज को अग्रगति प्रदान करती है। सद विप्र समाज सेवा एवं सदगुरु कबीर सेना संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में देखती है।
जाति पाति से नाता तोड़ो
भाई से भाई का रिश्ता जोड़ो।।