शासन प्रशासन की मनमानी छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ
छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ का कहना है की प्रशासन की मनमानी रवैया महाविद्यालयों में कई- कई वर्षों से शैक्षणिक कार्य के बागडोर संभाले हुए यह अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं कर पाई है जो शासन के द्वारा किए गए वादा "हर अनियमित कर्मचारी नहीं निकाले जाएंगे" के विपरीत साबित होते जा रहे हैं।
प्रशासन जानबूझ कर प्रवेश तिथि को बड़ा-बड़ा कर अतिथि व्याख्याताओं की जीविकोपार्जन की विकट परिस्थिति में धकेल रहे हैं यह शासन-प्रशासन का रवैया न्यायोचित नहीं लगती प्रशासन पहले कई-कई सालों से शासन के व्यवस्था से चयनित होकर आए अतिथि व्याख्याताओं को एक व्यवस्था बनाकर हमारे जीवन को 65 साल की आयु तक सुरक्षित करें नहीं तो "मरता नहीं क्या करता" कहावत के साथ अनिश्चितकालीन के लिए विवश होकर विरोध प्रदर्शन में उतरेंगे क्योंकि हमारी शुद उच्च शिक्षा विभाग में बैठे हुए अधिकारियों के द्वारा एवं शासन से बार-बार निवेदन करने के बाद नहीं सुनी जा रही है और नहीं व्यवस्था बना रही है। हम अब जाए तो जाए कहां 2 साल से करोणा काल की संकट के बोझ में दबकर आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।
छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता महासंघ की एक ही मांग है व्यवस्था बनाकर हमें 65 साल की सेवा अवधि प्रदान करें
या जानकारी महासंघ के पदाधिकारी महेंद्र शिवारे, डॉ अजय कुमार शर्मा, प्रेमचंद, संतोष देवांगन, रविंद्र सिंह, डॉक्टर आशीषधर दीवान,डॉ हेमंत सिरमौर,अमित दुबे,
सीचरन बंजारे, राजेंद्र प्रसाद, ने दिए और यह भी कहा हमारे लिए शासन एक व्यवस्था बनाएं ताकि हम 65 साल तक सेवा देते रहें क्योंकि अब इस उम्र में आकर हम ना "इधर के रहे ना उधर के" और दूसरी बात यह हमारा अधिकार है विकट परिस्थितियों में हम अतिथि व्याख्याता महाविद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था को सुचारू रूप से कई- कई वर्षों से संचालित करते आ रहे हैं और यह व्यवस्था बन जाए तो हम समस्त छत्तीसगढ़ अतिथि व्याख्याता सेवा देते रहेंगे।