चिरायु योजना से तीन साल की अंशिका के गंभीर दिल की बीमारी का चेन्नई में हुआ सफल ऑपरेशन
विकासखण्ड कुनकुरी के ग्राम बेहराटोली के निवासी कृतिबाई और धनेश्वर यादव बहुत खुश थे जब तृतीय संतान के रूप में एक बालिका का उनके यहां जन्म हुआ। सभी तरफ खुशियां ही खुशियां थी। पर जल्द ही उनकी खुशियों पर ग्रहण लग गया। नन्ही अंशिका हमेशा बीमार रहने लगे गयी परिवार वालों को कुछ समझ नहीं आ रहा था वे क्या करें। ऐसे में एक दिन जब आंगनबाड़ी केंद्र में आये चिकित्सकों के दल ने अंशिका की जांच की और उन्हें बताया कि उनकी एक साल की छोटी सी अंशिका दिल की गंभीर बीमारी से ग्रसित है। जिसका ईलाज कराया जाना आवश्यक है।
घर वालों में डर व्याप्त हो गया। उसी बीच पिता धनेश्वर का भी निधन हो गया। पूरे परिवार को संकट के बादलों ने घेर लिया। माता कृतिबाई ने अपनी मां के घर जाने की सोची जहां अंशिका का उचित उपचार हो सके। वृद्ध मां और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गयी थी। ऐसे में घर के पालन के साथ अंशिका के उपचार का खर्च वहन करना कृतिबाई के लिए कठिन हो गया था। फिर भी उन्होंने अपनी छोटी छोटी बचत से उन्होंने लोगों की सलाह पर रायपुर के निजी अस्पतालों में जांच कराई, पर कुछ हासिल ना हुआ। उन्होंने पुनः चिरायु के चिकित्सकों से संपर्क किया तो चिकित्सकों ने इस बीमारी का चिरायु द्वारा निःशुल्क उपचार के संबंध में जानकारी दी। तब कृतिबाई और उनकी मां विनीता बाई के जीवन में आशा की किरण जागी।
चिरायु योजना द्वारा पहले अंशिका को उपचार के लिए रायपुर के मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां चिकित्सकों की सलाह पर नवा रायपुर स्थित सत्यसाईं चिकित्सा संस्थान एवं भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जांच कराई गई। जहां के चिकित्सकों ने अंशिका की हालत को देखते हुए उच्च चिकित्सा संस्थानों में जांच कराने को कहा। जिसके बाद चिरायु के स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में अंशिका की जांच कराई। जहां के चिकित्सकों द्वारा अंशिका का दिल का ऑपरेशन किया गया। जिसमें 14.5 लाख रुपयों का खर्च आया जिसका वहन चिरायु योजना के अंतर्गत शासन द्वारा किया गया।
इस संबंध में अंशिका की नानी विनीता बाई ने भाव विभोर होकर नम आंखों से बताया कि अंशिका हमेशा दर्द से रोती रहती थी। कभी कभी तो रोते रोते नीली पड़ जाती थी। हमको समझ नहीं आता था हम क्या करें। हालात के आगे मजबूर हो जाते थे। हमें उम्मीद नहीं थी कि हमारी पोती का इलाज कभी संभव हो पाएगा, चिरायु योजना से अंशिका का इलाज पूरी तरह निःशुल्क हुआ, जिससे हमें राहत मिली। अब जब अंशिका हंसती है तो उसकी मुस्कुराहटों को देख कर हम मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शासन को हम धन्यवाद देते हैं। जिनके कारण हमारी बिटिया अब स्वस्थ है।