CBI की बड़ी कार्रवाई, रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान को मान्यता दिलाने के नाम पर 55 लाख के लेन-देन मामले में तीन डॉक्टर सहित 6 लोग गिरफ्तार

CBI की बड़ी कार्रवाई, रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान को मान्यता दिलाने के नाम पर 55 लाख के लेन-देन मामले में तीन डॉक्टर सहित 6 लोग गिरफ्तार

रायपुर। सीबीआई ने श्री रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (SRIMSR) को मान्यता दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर 5 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. मंजुप्पा सीएन, डॉ चैत्रा (एमएस), डॉ अशोक शैलके, रावतपुरा सरकार के निदेशक अतुल कुमार, सतीश और रविचंद्र शामिल हैं। सीबीआई के वकील ने विशेष अदालत को बताया कि विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली गई है, और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं।जानकारी के अनुसार सीबीआई ने एक दिन पहले ही मेडिकल कॉलेजों में मान्यता दिलाने के एवज में मोटी वसूली करने के मामले में छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली में 40 से अधिक ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों में से 3 मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्ध डॉक्टर हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कॉलेज की मान्यता के नाम पर पहले भी 1 करोड़ 62 लाख रुपए की राशि की डील हुई थी. जिसकी शिकायत 2024 में की गई थी. इसके बाद अब 55 लाख रुपए की लेन-देन का मामला सामनें आया है। बेंगलुरु के दो डॉक्टरों के पास हवाला के जरिए पैसा पहुंचा था। रविंद्र और सतीश ने केवल पैसा हासिल किया था। सीबीआई द्वारा अदालत के समक्ष पेश दस्तावेजों में बताया गया कि अध्यक्ष रविशंकर जी महाराज के कहने पर श्री रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (SRIMSR) आगामी आधिकारिक निरीक्षण के बारे में गोपनीय और अग्रिम जानकारी प्राप्त करने की साजिश में शामिल था। इसके लिए संस्थान के निदेशक अतुल कुमार तिवारी ने गीतांजलि विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान के रजिस्ट्रार मयूर रावल के साथ मिलीभगत कर गैरकानूनी तरीके से ऐसी विशेषाधिकार प्राप्त जानकारी हासिल करने की कोशिश की।आरोप यह भी लगाया गया है कि मयूर रावल ने गोपनीय निरीक्षण से संबंधित विवरण का खुलासा करने के बदले में 25-30 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। 26 जून 2025 को रावल ने तिवारी को 30 जून 2025 को निर्धारित निरीक्षण की तैयारी करने के लिए सूचित किया था। इसके अलावा रावल ने तिवारी को नामित निरीक्षण दल के सदस्यों के नाम भी बता दिए, जिससे आधिकारिक गोपनीयता भंग हुई और इस तरह के निरीक्षणों को नियंत्रित करने वाले वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।  मयूर रावल द्वारा सूचित एनएमसी द्वारा नामित 4 मूल्यांकनकर्ताओं वाली निरीक्षण टीम 30 जून 2025 को एसआरआईएमएसआर, रायपुर में निरीक्षण के लिए पहुंची. निरीक्षण दल के सभी 4 सदस्यों ने एसआरआईएमएसआर के निदेशक अतुल कुमार तिवारी के साथ साजिश रची और एक अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट जारी करने के लिए रिश्वत लेने पर सहमत हुए।निरीक्षण दल के सदस्यों में शामिल कर्नाटक के मंड्या स्थित मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंड की हेड और प्रोफेसर डॉ. मंजुप्पा सीएन ने सतीश को बताया कि हवाला ऑपरेटर से उसे फोन आएगा कि रकम कैसे एकत्र की जानी है। इसके साथ डॉ. मंजुप्पा ने निरीक्षण दल की एक अन्य सदस्य डॉ. चैत्रा से भी बातकर बताया कि उसका हिस्सा सतीश द्वारा उसके निवास पर पहुंचाया जाएगा या कोई इसे सतीश से एकत्र कर सकता है। यह लेन-देन 30 जून को ही होने की संभावना थी। मामला दर्ज होने के बाद सीबीआई ने बैंगलोर में जाल बिछाया और 55 लाख रुपए की रिश्वत की रकम बरामद की गई। रिश्वत की कुल रकम में से 16.62 लाख रुपए आरोपी डॉ. चैत्रा के पति रविचंद्र से और 38.38 लाख रुपए आरोपी डॉ. मंजुप्पा के सहयोगी सतीश से बरामद किए गए। जांच के दौरान आरोपी डॉ. मंजुप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके और एसआरआईएमएसआर के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी को एक जुलाई को रायपुर से गिरफ्तार किया गया। वहीं रविचंद्र और सतीश को बैंगलोर से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर रायपुर लाया गया है।