18 वर्षीय बेटी को मां से मिलाया। रेल्वे में नौकरी के नाम पर लाखो लूटने वाले के खिलाफ सुनवाई। आवेदिका की संपत्ति के एवज में प्रतिमाह 20 हजार रू. दिलाया।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक, सदस्यगण श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती लक्ष्मी वर्मा ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 346 वी. एवं रायपुर जिले में 165 वी. जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह शासकीय नौकरी में है और सहा.ग्रेड 01 के पद पर है। अनावेदक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत् है। अनावेदक द्वारा दिनांक 13/06/25 व 18/06/25 को आवेदिका के कार्य में उपस्थित होने पर भी आवेदिका को अनुपस्थित बताकर उसका वेतन काट दिया गया। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक अपने कक्ष में उपस्थिति रजिस्टर रखकर आवेदिका से दुर्भावना करते है और कुछ कर्मियों के अनुपस्थित होने पर भी सफेदा लगाकर उनके हस्ताक्षर कराकर उकृत किया जाता है। प्रकरण की जांच हेतु आयोग द्वारा पूरे मामले मे मुख्य अभियंता महानदी परियोजना जल संसाधन विभाग को पत्र प्रेषित कर 1 माह के भीतर आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक(पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिये दुसरा विवाह कर लिया है और दूसरे विवाह से अनावेदक कि 02 वर्ष की बेटी भी है। आयोग के समक्ष अनावेदक ने दूसरे विवाह और 02 वर्ष की पुत्री होने की बात स्वीकार किया। आगामी सुनवाई में दूसरी महिला के एस.पी भोपाल के माध्यम से एक महिला आरक्षक के साथ उपस्थित रखने का आदेश आयोग द्वारा दिया गया ताकि प्रकरण का निराकरण हो सके।
एक प्रकरण मे आवेदिका ने बताया कि अनावेदिका जो कि वर्तमान में डब्लू.आर.एस. रेल्वे में वर्ष 2005 से वेल्डर की नौकरी करती है उसके पूर्व पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा में नौकरी मिली है। वर्तमान में आवेदिका अपने देवर के साथ पति-पत्नि के तौर पर रहती है। अनावेदिका द्वारा आवेदिका और उसके पति से रेल्वे में नौकरी लगाने के नाम पर 09 लाख और दूसरी आवेदिका से 05 लाख रू. ले रखा है। आयोग के समक्ष आवेदिका ने एक पेनड्राईव प्रस्तुत किया जिसमें अनावेदिका ने स्वीकारा कि उसने आवेदिका से पैसे लिए है। आवेदिका ने रेल्वे डिपार्टमेंट में भी अपनी शिकायत दर्ज करवायी है।
आयोग की ओर से रेल्वे अधिकारी को पत्र लिखकर प्रकरण की तथ्यात्म जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने हेतु पत्र प्रेषित करने का आदेश आयोग द्वारा दिया गया। प्रतिवेदन के पश्चात् प्रकरण आगामी सुनवाई हेतु रखा जायेगा।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी सम्पत्ति को अनावेदक ने अपने कब्जे में कर रखा है और आवेदिका को खर्च के लिए सम्मानजनक पैसे नहीं देते है। आयोग द्वारा अनावेदक से पूछने पर उसने बताया कि आवेदिका के स्व. पति के नाम पर 2 हाईवा, 2 जेसीबी, टेªक्टर, कार, एवेंजर, पाॅवर एक्सल और 57 डिसमिल जमीन आवेदिका के नाम पर है। अनावेदक पक्ष को समझाईश दिया गया था कि आवेदिका के नाम पर जितनी गाडिया व जमीन है उसके दस्तावेज लेकर आयोग में उपस्थित हो, आज की सुनवाई के दौरान अनावेदकगण सारे दस्तावेज लेकर आयोग में उपस्थित हुए अनावेदक ने बताया कि सभी गाडियों का संचालन व संधारण अनावेदक द्वारा किया जाता है उसी से गांव में 40 डिसमील की जगह पर मकान बनाया जा रहा है जिसमें आवेदिका व उसकी बेटी का भी बराबर का हक रहेगा। वर्तमान में उभय पक्ष संयुक्त परिवार में रहते है और सम्पत्ति को लेकर वाद-विवाद होता रहता है। आयोग ने उभय पक्षों को समझाईश दी की वह आपस में वाद-विवाद नहीं करेंगे। आयोग की समझाईश पर अनावेदक आवेदिका को प्रति माह भरण-पोषण हेतु 20 हजार रू. देने को सहमत हुए ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहे, साथ ही आवेदिका की पुत्री की पढ़ाई रहन-सहन आदि का खर्च अनावेदक वहन करेंगे। सभी बिंदुओ पर दोनो पक्षों ने अपनी सहमति प्रदान की।
एक प्रकरण में आवेदिका ने अपनी पुत्री को अपने पास सुरक्षित रखे जाने हेतु शिकायत प्रस्तुत किया था, जिसपर विस्तृत काउंसलिंग किया गया। आवेदिका भी अपनी मां के साथ में रहकर अपनी काॅलेज की पढ़ाई के साथ पार्ट टाईम जाॅब करना चाहती है। उसकी मदद के लिए आयोग की सदस्य श्रीमती सरला कोसरिया जी अधिकारियों से चर्चा कर आवेदिका का सहयोग करेंगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गयी है। आवेदिका की दो पुत्रियां 10 वर्ष और 12 वर्ष की है। आवेदिका के पति की मृत्यु 2023 में हो गयी। आवेदिका ने अपने दोनो बेटियों के लिए संयुक्त परिवार की संपत्ति में 1 कमरा सुरक्षित रखने बाबत् आवेदन दिया है। आवेदिका ने दूसरा विवाह कर लिया था। अतः वह अपना हक नहीं चाहती है। अनावेदकगण संयुक्त परिवार में आवेदिका की पुत्रियों का हक देने के लिए सहमत है। अनावेदक ने कहा कि पुत्रियां जब चाहे अपने घर पर आकर रह सकती है। स्टाम्प पेपर पर ईकरानामा बनवाकर तत्पश्चात् प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा।