छत्तीसगढ़ में रिश्वतखोर रेल अधिकारी को सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई 4 साल की सजा
6 साल पहले क्लर्क से एरियर्स राशि भुगतान के लिए 28 हजार रुपए घूस लेते सीबीआई की टीम ने रंगे हाथों किया था गिरफ्तार
बिलासपुर। सीबीआई की विशेष अदालत ने बिलासपुर रेल मंडल के सीनियर डीपीओ कार्यालय के आॅफिस सुप्रींटेंडेंट प्रमोद कुमार को 4 साल कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी सुप्रींटेंडेंट को सीबीआई ने 2017 में जूनियर क्लर्क से एरियर्स की राशि भुगतान के लिए 28 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगो हाथों गिरफ्तार किया था। 6 साल तक चले ट्रायल के बाद अब आरोपी को उसकी करतूतों की सजा मिली है।
सीबीआई की टीम ने आरोपी प्रमोद कुमार को गिरफ्तार कर रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेजा गया था। इस बीच सीबीआई की टीम केस की जांच कर रही थी, जिसमें 17 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जांच के बाद सीबीआई ने जून 2017 को आरोपी प्रमोद कुमार के खिलाफ चालान पेश किया था। जिसके बाद अब सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायाधीश ममता पटेल ने आरोपी प्रमोद कुमार को दोषी पाते हुए चार साल कैद के साथ ही 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। सीबीआई ने शिकायत के बाद आरोपी कार्यालय अधीक्षक को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के बाद चालान पेश कर दिया था, जिसके बाद से विशेष अदालत में ट्रॉयल चल रहा था। जुलाई 2018 को विशेष अदालत ने रिश्वतखोरी के आरोपी प्रमोद कुमार पर आरोप तय किया था, जिसके बाद ट्रायल चला। इस दौरान सीबीआई के लोक अभियोजक ने रजन श्रीवास्तव ने भ्रष्टाचार के आरोपी कार्यालय अधीक्षक के खिलाफ साक्ष्य और सबूतों को पेश किए, जिसके आधार पर कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए सजा तय किया।
ज्ञात हो कि मुकेश कुमार रेलवे में जूनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। साल 2017 में उनके वेतन के पैसे का एरियर्स मिलना था। करीब डेढ़ लाख रुपए एरियर्स के भुगतान के लिए उन्होंने सीनियर डीपीओ कार्यालय में आवेदन दिया था, जिसके बाद कार्यालय अधीक्षक प्रमोद कुमार ने फाइल अटका दिया था। इस राशि को देने के एवज में प्रमोद कुमार ने 30 हजार रुपए की डिमांड की। इस पर जूनियर क्लर्क ने रिश्वतखोर अफसर के खिलाफ सीबीआई में शिकायत कर दी। जिसके बाद सीबीआई की टीम ने कार्यालय अधीक्षक को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। सीबीआई के कहने पर मुकेश कुमार ने सौदा तय किया और 30 हजार रुपए के बजाए 28 हजार रुपए देने की बात कही। जब कार्यालय अधीक्षक से सौदा तय हुआ। इसके बाद सीबीआई की टीम ने 21 फरवरी 2017 को क्लर्क को पैसे देकर कार्यालय अधीक्षक से बात कराया। तब कार्यालय अधीक्षक ने उसे पैसे लेकर रेलवे स्टेशन के सामने सिटी बस स्टॉप के पास बुलाया। इस बीच सीबीआई की टीम भी उसके पीछे लग गई। जैसे ही क्लर्क मुकेश कुमार ने कार्यालय अधीक्षक को पैसे दिए। टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। रिश्वतखोरी का मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।