प्रभारी प्राचार्य ने सरकारी पुस्तकों को बेच दिया कबाड़ में, आत्मानंद स्कूल में भर्ती के नाम पर ऐंठे रुपए
खैरागढ़। जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के खैरागढ़ शिक्षा विभाग के जिला मुख्यालय से देर शाम आज एक आदेश जारी किया गया है। आदेशित पत्र में बताया जा रहा है कि कमलेश्वर सिंह व्यख्याता एल. बी. प्राचार्य स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट अंग्रेजी / हिंदी माध्यम के शास. कन्या उच्च. माध्य. शाला खैरागढ़ वी.ख. खैरागढ़ जिला खैरागढ़-छुईखदान- गंडई के विरुद्ध की गई शिकायत के जांच में पुष्टी सही पाये जाने के फलस्वरूप उन्हें प्रभारी प्राचार्य के पद से हटाकर शासकीय उच्च.माध्य. शाला कांचरी विकासखण्ड खैरागढ़ में अध्यायपन कार्य हेतु अस्थायी रूप से आगामी आदेश पर्यंत आदेशित किया गया है।
ज्ञात हो कि खैरागढ़ जिला मुख्यायल के शिक्षा विभाग से जुड़ी अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के मामले को लेकर इसका खुलासा करते हुए खैरागढ़ जिला के युवा कांग्रेस नेता राजा सोलंकी एवं उनकी पूरी टीम ने उपरोक्त जारी आदेशित पत्र के आधार पर दोषी पाए जाने वाले प्रभारी प्राचार्य की शिकायत सतत रूप से पिछले कई महीनों से खैरागढ़ जिला के उच्च अधिकारीयों से कर रहे थे। जिसमें प्रभारी प्राचार्य कमलेश्वर सिंह द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना पे अपनी मनमानी करते हुए जमकर पलीता लगाए जाने तथा पदेन दायित्वों में घोर अनियमितता किये जाने का खुलासा किया था ।
जानकारी के अनुसार जिले के सरकारी कन्या शाला स्कूल की पाठ्य पुस्तक निगम की पुस्तकें स्कूल प्रबंधन के द्वारा कबाड़ी की दुकान को बेंच दिया गया था । यह मामला सामने आने के बाद 10 मई 2023 को कलेक्टर से शिकायत भी किया गया था। शिकायत के बाद भी विभागीय जांच में लीपापोती कर प्रभारी प्राचार्य कमलेश्वर सिंह को बचाने का भरसक प्रयास किया गया ।
इतना ही नहीं इसी स्कूल में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट नवीन आत्मानंद स्कूल इसी सत्र से संचालित हुवा है जहां पर यह स्कूल पूरी तरह से निशुल्क है. लेकिन प्रभारी प्राचार्य कमलेश्वर सिंह ने एडमिशन के नाम पर छात्रों से फीस के नाम पर जमकर वसूली कीया था। जिसका सोशल मीडिया में एक ऑडियो भी जमकर वायरल हुआ था। सूत्रों की माने तो वायरल ऑडियो में प्रभारी प्राचार्य कमलेश्वर सिंह की आवाज बताई जाती है । वहीं कमलेश्वर सिंह ने जांच दल को दिए गए बयान में जिला खैरागढ़ डी.ई.ओ के आदेश पर फीस लेना स्वीकार किया था।