नकली होलोग्राम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 16 जुलाई तक टली
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नकली होलोग्राम मामले में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और एपी त्रिपाठी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है। आज हुई बहस में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और एपी त्रिपाठी की सप्लीमेंट्री याचिका की सुनवाई टल गई। कोर्ट नंबर 2 में संजीव खन्ना की कोर्ट में तीन जजों के बीच बहस हुई और इसके बाद सुनवाई को 16 जुलाई तक टाल दिया गया।
ग़ौरतलब है कि अवैध शराब के नक़ली होलोग्राम बनाने वाली कंपनी के बयान के बाद अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी के नाम पर FIR दर्ज किया गया था। जिसके बाद जांच में अनिल टुटेजा का नाम भी आया था। अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा अलग-अलग जेलों में बंद थे। उत्तर प्रदेश पुलिस एपी त्रिपाठी को अपने साथ लखनऊ ले गई। वही लखनऊ कोर्ट ने अनवर ढेबर-एपी त्रिपाठी-अनिल टुटेजा को 12 तारीख़ तक लखनऊ जेल में भेज दिया।
ये है नकली होलोग्राम का पूरा मामला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले की जांच कर रही ED के डिप्टी डायरेक्टर ने जुलाई 2023 को नकली होलोग्राम मामले में नोएडा के कासना थाने में FIR दर्ज कराई थी। वहीं, इस केस की जांच यूपी STF कर रही है। नकली होलोग्राम मामले में यूपी STF की टीम ने अनवर ढ़ेबर को जेल से बाहर आते ही गिरफ्तार किया था। उसी रात रायपुर सेन्ट्रल जेल से एपी त्रिपाठी को लेकर मेरठ कोर्ट के लिए रवाना किया गया था। 19 जून को ढेबर को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद यूपी STF की टीम अनवर को ट्रांजिट रिमांड पर ले जाकर मेरठ के कोर्ट में पेश किया था। जहां सुनवाई के दौरान मेरठ की कोर्ट ने अनवर और एपी त्रिपाठी को 1 जुलाई तक मेरठ की जेल में भेज दिया था। अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को मेरठ कोर्ट ने 10 दिन यानी 1 जुलाई तक जेल भेज दिया था।
इसी बीच यूपी पुलिस ने मेरठ कोर्ट में आवेदन लगाकर दोनों की रिमांड मांगी थी। 28 से 30 जून तक 3 दिन की रिमांड मिलने के बाद यूपी STF दोनों को लखनऊ लेकर पहुंची थी। जहां दोनों से लंबी पूछताछ हुई। पूछताछ में दोनों ने कई अहम खुलासे किए हैं। रिमांड पूरी होने के बाद 1 जुलाई को मेरठ कोर्ट में पेश किया गया। जहां सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों को 15 जुलाई तक जेल भेज दिया है। टेंडर मिलने के बाद विधु गुप्ता डूप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ के सक्रिय सिंडिकेट को करने लगा। यह सप्लाई CSMCL के तत्कालीन एमडी अरुणपति त्रिपाठी के निर्देश पर हुई। सिंडिकेट के सदस्य डूप्लीकेट होलोग्राम को विधु गुप्ता से लेकर सीधे तीनों शराब निर्माता कंपनियों को पहुंचा देते थे। इन डिस्टलरीज में होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाया जाता था। इसके बाद अवैध बोतलों को फर्जी ट्रांजिट पास के साथ CSMCL की दुकानों तक पहुंचाया जाता था। फर्जी ट्रांजिट पास का काम छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से होता था।