10 एकड़ में 24 माह में तैयार होगा 100 बिस्तरों का केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान

10 एकड़ में 24 माह में तैयार होगा 100 बिस्तरों का केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान

रायपुर। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर वर्चुअल माध्यम से रायपुर में बनने वाले 100 बिस्तरों वाले केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (CRIYN) का शिलान्यास किया।प्रधानमंत्री  मोदी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से रायपुर से जुड़े थे।  मोदी ने कहा कि देश के लोग जितना ज्यादा स्वस्थ रहेंगे, देश की प्रगति उतनी ही तेजी से होगी। पूरी दुनिया के लोग योग और पंचकर्म के लिए भारत आते हैं और आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में संवेदनशीलता के साथ काम रही है।केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान रायपुर को केन्द्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (सीसीआरवायएन) के तहत स्थापित किया जा रहा है। 90 करोड़ रूपए की लागत से इस संस्थान का निर्माण 24 माह में पूरा होगा। राज्य सरकार ने इस संस्थान के लिए 10 एकड़ की भूमि विभाग को उपलब्ध कराई है। यह छत्तीसगढ़ का पहला योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र और अस्पताल होगा जो गैर संचारी रोगों जैसे मोटापा, प्रीडायबिटीज, मेटाबोलिक सिंड्रोम, व गठिया आदि के  उपचार की सुविधा प्रदान करेगा।अनुसंधान केन्द्र में बाह्य रोगी और प्रशासनिक ब्लॉक, आंतरिक रोगी ब्लॉक, स्टाफ क्वार्टर, योग हॉल, आहार केन्द्र, मालिश और फिजियोथेरेपी अनुभाग के साथ ही अनुसंधान ब्लॉक भी स्थापित होंगे। यह केन्द्र स्पा और वेलनेस थेरेपी में प्रशिक्षण प्रमाणन पाठ्यक्रम और अनुसंधान में फेलोशिप पाठ्यक्रम संचालित करेगा। केंद्र में वेलनेस थिरेपी में प्रशिक्षण प्रमाणन पाठ्यक्रम और अनुसंधान में फेलोशिप पाठ्यक्रम का भी संचालन होगा। इस संस्थान के शुरू होने से योग और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रभावों के बारे में नए ज्ञान का विकास होगा।इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत देश अपनी पुरानी पद्धतियों को संजोकर लगातार आगे बढ़ रहा है। श्री जायसवाल ने कहा कि आज धनतेरस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राज्य को केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के रूप में जो उपहार दिया है उसे हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां भी याद करती रहेंगी।