CGPSC-2021: हाईकोर्ट ने 37 चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग देने का आदेश दिया
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC-2021) परीक्षा फर्जीवाड़ा मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को राज्य सरकार की याचिका खारिज करते हुए उन 37 चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग देने का आदेश दिया है, जिनके खिलाफ सीबीआई ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें इन 37 अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग देने के निर्देश दिए गए थे।
राज्य सरकार की दलील
सरकार की ओर से अधिवक्ताओं ने कहा कि चूंकि सीबीआई इस फर्जीवाड़े की जांच कर रही है, इसलिए जब तक जांच पूरी नहीं होती, ज्वाइनिंग देना उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक होने की बात सामने आई थी और परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि यदि परीक्षा में गड़बड़ी साबित हो रही है, तो पूरी परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि जांच कब तक पूरी होगी, लेकिन एजेंसी इस पर स्पष्ट जवाब नहीं दे सकी।
डिवीजन बेंच का फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है, उन्हें अनिश्चितता में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार की रिट याचिका खारिज करते हुए सभी 37 अभ्यर्थियों को तुरंत ज्वाइनिंग देने का निर्देश दिया।
कोर्ट के प्रमुख प्रश्न और टिप्पणियाँ
राज्य सरकार बताए कि किन उम्मीदवारों पर चार्जशीट दायर की गई है और कितनों की जांच अब भी लंबित है।
सीबीआई यह स्पष्ट करे कि परीक्षा प्रक्रिया में आयोग के कौन-कौन से अधिकारी जांच के दायरे में हैं।
अगर प्रश्नपत्र लीक का मामला सही है, तो पूरी परीक्षा रद्द करने पर विचार क्यों नहीं किया गया।
पृष्ठभूमि
CGPSC-2021 फर्जीवाड़ा प्रकरण में राज्य सरकार ने पहले ही बताया था कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र ओपन कर दिए गए थे। इस संबंध में कई अभ्यर्थियों और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। इससे पहले सिंगल बेंच ने कहा था कि जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, उन्हें नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।