दंतेश्वरी मंदिर में ताड़ के पत्तों से होलिका दहन, इसी राख से होली खेलती हैं मां
दंतेवाड़ा के मां दंतेश्वरी मंदिर में परंपरा के अनुसार ताड़ के पत्तों से होलिका दहन हुआ. होलिका दहन की राख से ही मां दंतेश्वरी सहित 810 से ज्यादा देवी-देवता होली खेलते हैं.
जिले में रियासतकालीन फागुन मेला की परंपरा आज भी कायम है. फागुन मेले के नौवें दिन होलिका दहन की रस्म निभाई गई. दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी पूजा अर्चना कर ताड़ के पत्तों को लेकर 12 लंकवार, माझी चालकों और सेवादारों के साथ ढोल नगाड़ों की थाप के साथ भैरव मंडप पहुंचे. जहां विधिविधान से होलिका दहन किया गया.
मंदिर पुजारी परमेश्वर नाथ जीया ने बताया कि 'रियासतकालीन महाराजा भोपालदेव के समय से होली पर मड़ई मेला का आयोजन हुआ है. पहले दिन मां का कलश स्थापित किया जाता है. उसी दिन ताड़ के पत्रों की पूजा कर होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन से उड़ती राख से दूसरे दिन देवी-देवताओं को होली का तिलक लगाया जाता है'.
दंतेश्वरी मंदिर के सेवादार ने बताया कि 'ताड़ के पत्तों से जलाए गए होलिका दहन की राख को खेत में डालने से फसल ज्यादा अच्छे से होती है. इसके साथ ही इस राख में तांत्रिक शक्ति भी होती है. कोई बीमार पड़ने पर भी इस राख का प्रयोग किया जाता है. इस राख को काफी सहेज कर रखा जाता है. इस साल 810 से ज्यादा देवी देवताओं को इसी राख से होली का टीका लगाया जाएगा.