बेटी दिवस पर विशेष
बेटियाँ
बेटियाँ होती मन वीणा झंकार है।
बेटियाँ होती माँ की तलफगार है।
सूने संसार मे गूँजे किलकारियां
बेटियाँ सर्जना सृष्टि आधार है।
सोच संवेदना भी जरूरी है,
कोख में मारना कितनी मजबूरी है
काट फेकों ज़मी से लकीरों को
बेटियाँ दुर्गा गायत्री अवतार है।
जन्म लेते रुदन मे कलाएँ छुपी,
छेड़ दे तार सरगम वो सितार है।
दया ममता करुणा अरु वेदना,
भावना से भरी मूर्ति साकार हैं ।
नाद गूंजता है मारों मत मुझे,
जन्म लेने का मेरा भीअधिकार है।
मै ही सत्य सनातन सच्चाई हूँ
सृष्टि संकल्पना से ही संसार है।
डॉ मीता अग्रवाल रायपुर छत्तीसगढ़