कुंडलिया छंद
गणतंत्र
कुंडलिया छंद
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गणतंत्र
झंडा लहरावय सदा,जन मन के विश्वास ।
जन गण मन अउ भारती,होही पूरन आस।
होही पूरन आस,देश बर निष्ठा जागे।
शिक्षित होय समाज,रोग दुख पीरा भागे।
गुनय मधुर ये गोठ,आपसी चलय न डंडा ।
जन सेवा गणतंत्र,गगन मा लहिरे झंडा ।।
(2)
राजा-रानी बिन चलय,आज हमर गणतंत्र।
जनमन जनता प्राण हे,लोक तंत्र हे मंत्र।
लोकतंत्र हे मंत्र,देश जनमत ले चलथे।
जनता के हे जोर,लोकहित शासन गढ़थे।
गुनय मधुर ये गोठ,राज मा मन के बाजा।
चुनव अपन महराज,खाव खाजा बिन राजा।।
छंदकार
डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़