छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट सप्लाई ठप, कैसे रुकेगा कुपोषण?
छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट सप्लाई ठप हो गई है. रेडी टू ईट के नाम पर पिछले एक महीने से बच्चों को पोषक तत्व नहीं मिल पा रहा है. शासन या प्रशासन स्तर पर कहां चूक हो रही है? कुपोषितों को सिर्फ अंडा और केला बांट दिया जा रहा है. बाकी सभी लोगों को यह आहार नहीं मिल पा रहा है. क्या ऐसे अभियान से छत्तीसगढ़ कुपोषण मुक्त अभियान सफल हो पाएगा?
छत्तीसगढ़ में कुपोषण दूर करने का अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन पिछले 1 महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट की सप्लाई नहीं हो रही है. बच्चों को पूर्ण रूप से पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. प्रदेश के 50,000 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों के लगभग 22 लाख से ज्यादा बच्चे और 2 लाख 45000 से अधिक महिलाएं प्रभावित हो रहीं हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को केवल दाल और चावल परोसा जा रहा है. नाश्ते में सिर्फ पोहा दिया जा रहा है. शासन का आदेश है कि सप्ताह के 3 दिन बच्चों को रेडी टू ईट का नाश्ता करवाया जाए, लेकिन सप्लाई नहीं होने के कारण सप्ताह के रेडी टू ईट नाश्ते के दिन बच्चों को नाश्ता ही नहीं मिल पा रहा है. अब आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता भी परेशान हो रहीं हैं.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की प्रदेश अध्यक्ष सरिता पाठक ने कहा कि, "पिछले 1 महीने से रेडी टू ईट की सप्लाई बंद हो गई है. गर्भवती महिला और बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. शासन-प्रशासन को कुपोषण दूर करना है तो रेडी टू ईट का संचालन सही तरह से करें ताकि महिला और बच्चे प्रभावित ना हों.''
सरिता पाठक ने बताया कि, "रेडी टू ईट नहीं मिलने के कारण शून्य से 5 साल के बच्चे पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. गर्भवती महिला के साथ ही छोटे बच्चों को पाल रही महिलाएं भी प्रभावित हो रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्र पर रेडी टू ईट नहीं मिलने पर लोग पूछते हैं. उनको बताया जाता है कि यह शासन स्तर की बात है. जब शासन हमें रेडी टू ईट देगी तभी हम उसे दे पाएंगे. हम एक माध्यम हैं. हम शासन की योजना का लाभ पहुंचाने के लिए जनता के बीच काम करते हैं.''
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि, "आंगनबाड़ी केंद्र में रेडी टू ईट नहीं मिलने के कारण लोग हमसे पूछते हैं तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता. शासन रेडी टू ईट देती थी. वह समय पर देना शुरू करें ताकि उसका सही तरह से वितरण हो सके. बच्चे और महिलाओं को भी परेशानी ना हो."
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 1 साल में कम से कम 300 दिन पोषण आहार दिया जाना जरूरी है, लेकिन बीज निगम की ओर से रेडी टू ईट की सप्लाई नहीं होने के कारण बच्चों के सुपोषण आहार में पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन नहीं मिल पा रहा है. सरकार छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने का दावा कर रही है, लेकिन समय पर रेडी टू ईट की सप्लाई नहीं होने के चलते कुपोषण मुक्त अभियान की रफ्तार धीमी हो चली है.